महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय नहीं रहीं, लेकिन कॉमनवेल्थ (Commonwealth) यथावत है। प्रिंस चार्ल्स को ब्रिटेन का राजा घोषित किए जाने के साथ ही वो कॉमनवेल्थ के मुखिया भी बन गए हैं। कॉमनवेल्थ, अंग्रेजों के गुलाम देशों का संगठन है। इस संगठन (कॉमनवेल्थ) में 56 देश हैं। इस कॉमनवेल्थ (Commonwealth) में भारत भी शामिल है। 1947 से पहले के भारत के अंग (बांग्लादेश और पाकिस्तान) भी कॉमनवेल्थ (Commonwealth) में हैं।
कॉमनवेल्थ यानी गुलामी की पहली छाप– कॉमनवेल्थ का नया मुखिया ब्रिटेन का राजा चार्ल्स तृतीय है। यानी गुलाम देश औपचारिक तौर पर आजाद होने के बाद भी अनौपचारिक गुलाम आज भी हैं? क्वीन एलिजाबेथ के निधन की बीबीसी अंग्रेजी वेबसाइट पर जो पहली खबर छपी थी उसका प्वांइटर था, ‘महारानी एलिजाबेथ ग्रेट ब्रिटेन के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैण्ड, कनाडा और जमैका समेत 14 देशों हेड ऑफ स्टेट और कॉमनवेल्थ की मुखिया थीं। सबसे अहम् बात यह कि कॉमनवेल्थ (Commonwealth) का मुखिया होने के नाते यूनाईटेड किंगडम के राजा को इन देशों में जब चाहे आ और जा सकता है। अपनी मर्जी से घूम सकता है। उसकी सुरक्षा और सुविधाओं की जिम्मेदारी उस कॉमनवेल्थ देश की होगी जिसका वो उपभोग करना चाहेगा।
अधिकांश लोगों को 13 अक्टूबर 1997 को क्वीन एलिजाबेथ की तीसरी भारत यात्रा की जानकारी तो होगी ही। उस समय इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री और केआर नारायणन राष्ट्रपति थे। क्वीन एलिजाबेथ और उनके सहचर बिना वीजा के भारत भ्रमण पर थे। विपक्षी दल भी हो-हल्ला करके शांत हो गए थे।
कॉमनवेल्थ यानी गुलामी की दूसरी छाप- चार्ल्स-तृतीय ने राजा बनने की घोषणा के साथ ही कर दी। उन्होंने अपने विशेष संबोधन में कहा कि, उनकी मां महारानी एलिजाबेथ के निधन से होने वाली क्षति उनके देश यानी ग्रेट ब्रिटेन और कॉमनवेल्थ सहित दुनियाभर के अनगिनत लोगों को गहराई से महसूस होगी।
कॉमनवेल्थ यानी गुलामी की तीसरी छाप– क्वीन एलिजाबेथ का अंतिम संस्कार 10 दिन बाद होना है। कुछ ही घण्टों बाद लंदन के सेंट जेम्स पैलेस में एक्सेशन काउंसिल के सामने चार्ल्स तृतीय का अधिकारिक ऐलान होगा। अच्छा यह एक्सेशन काउंसिल क्या है- एक्सेशन काउंसिल में शामिल होते हैं, 1- ब्रिटिश पार्लियामेंट के सीनियर मेंबर्स, 2- वर्तमान और निवर्तमान प्रिवी पियर्स, सीनियर ब्यूरोक्रेट्स ऑफ ब्रिटेन, 3- कॉमनवेल्थ देशों के हाईकमिश्नर्स और 4- लंदन के लॉर्ड मेयर। इन सभी को बताया जाएगा कि अब चार्ल्स-तृतीय आपके ‘राजा’ हैं। खास बात यह कि जिस सभा में नए राजा के नाम का ऐलान होगा ‘राजा’ स्वयं मौजूद नहीं होंगे। प्रिवी काउंसिल के प्रेसिडेंट लॉर्ड पेनी मॉरडाउंट बा-आबाज बुलंद नए राजा के नाम का ऐलान करेंगे। साथ ही एक्सेशन काउंसिल को शपथ दिलाई जाएगी कि वो जिस तरह से पूर्व महारानी क्वीन एलिजाबेथ के आदेशों का पालन करते रहे थे वैसे ही नए राजा चार्ल्स तृतीय के आदेशों का पालन करेंगे और उन्हें सहयोग करेंगे, और एक्सेशन काउंसिल के सदस्य शपथ लेने के लिए बाध्य होंगे।
एक दिन बाद, संभवतः 11 सितंबर 2022 को घोषित राजा चार्ल्स तृतीय प्रिवी काउंसिल को दर्शन देंगे, परंपरागत तरीके से चर्च ऑफ स्कॉटलैण्ड की सुरक्षा की शपथ लेंगे। चार्ल्स तृतीय का राज्यारोहण समारोह कब होगा इसका ऐलान बाद में किया जाएगा। उस समारोह में किस-किस को बुलाया जाए या नहीं यह ब्रिटेन की सरकार तय करेगी। इस समारोह में लगभग सवा दो किलो सोने का ताज (जिसमें संभवतः वो हीरा भी जड़ा होगा जो भारत से चुराकर ले जाया गया था) किंग चार्ल्स तृतीय के सिर पर रखा जाएगा।
ध्यान रहे, किंग चार्ल्स तृतीय का राज्यारोहण पूरी तरह से ईसाई धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुरूप होगा। नए राजा के सिर पर ताज भी केंटरबरी के आर्कबिशप रखेंगे।
हम सब लोगों की आंखें खोलने के लिए, और जो लोग अपने आपको आजाद कहते हैं उनके दीमाग को दुरुस्त रखने के लिए ब्रिटिश मीडिया ने साफ-साफ लिखा है, ‘Charles has become head of the Commonwealth, an association of 56 independent countries and 2.4 billion people.’चार्ल्स अब 56 कॉमनवेल्थ (स्वतंत्र) देशों और 2.4 अरब लोगों के मुखिया बन चुके हैं।
ब्रिटेन की नव नियुक्त पीएम लिज ट्रस का वो वक्तव्य ध्यान से सुनिए और पढ़िए, जिसमें वो कह रही हैं कि, क्वीन एलिजावेथ ने मात्र सात देशों के कॉमनवेल्थ को 56 देशों तक फैला दिया। (She championed the development of the Commonwealth – from a small group of seven countries to a family of 56 nations spanning every continent of the world.) यूनाईटेड किंगडम की वेवसाइट पर जाकर तस्दीक करलें खुद को ‘आजाद’ कहने वाले। यू ट्यूब पर भी है। चाटुकार वहां देख भी सकते हैं और सुन भी सकते हैं।
क्या यही वजह तो नहीं है कि हमारे कानून से ताजिरात-ए-हिंद की दफाएं अभी तक लागू हैं। गुलामी के दौर के दस्तावेजों को कानूनों को सरकार और न्यायपालिका दोनों आंखें बंद और सिर झुका कर मानती चली आ रही हैं? एक बात जो सब जानते तो हैं लेकिन समझते कम हैं, अंग्रेजों के गुलाम देश एक-दूसरे देश में और ब्रिटेन में राजदूत नियुक्त नहीं कर सकते। सामान्य सी बात है राजदूत तो किसी राजा और राज्य का ही हो सकता है न, कॉमनवेल्थ का राजा तो ब्रिटेन का राजा है, तो कथित आजाद कॉमनवेल्थ देश का राजदूत कैसे नियुक्त कर सकते हैं!
अंग्रेज और अंग्रेजों के राजा की नीयत में खोट नहीं तो फिर 56 कॉमनवेल्थ मुल्कों की 2.4 बिलियन आबादी का मुखिया हमेशा ब्रिटेन का राजा क्यों रहे। गुलामी का ठप्पा कॉमनवेल्थ देशों पर क्यों लगाकर रखना चाहते हो। फिर भी अगर कॉमनवेल्थ बनाए रखना चाहते हो तो रखो। एक निश्चित अवधि के लिए, लोकतांत्रिक तरीके से, कॉमनवेल्थ के हेड (मुखिया) का चुनाव करो। जो देश बहुमत हासिल करे उसका राष्ट्राध्यक्ष मुखिया बने। ठीक उसी तरह जैसे दूसरी वैश्विक संस्थाओं और संगठनों में होता है।