नवरात्रि (Navratri) पर्व के आठवें दिन महागौरी की आराधना की जाती है। महागौरी गौर वर्ण की है और इनके आभूषण और वस्त्र स्वेत रंग के हैं। इनकी उम्र आठ साल की मानी गई है। इनकी चार भुजाएं है और वृषभ पर सवार होने के कारण इन्हें वृषारूढा भी कहा जाता है। सफेद वस्त्र धारण करने के कारण इन्हें स्वेतांबरा भी कहा गया है। नवरात्रि में अष्टमी तिथि और नवमी तिथि सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। अष्टमी तिथि को माता महागौरी की उपासना की जाती है। इस दिन बहुत सारे लोग विशेष उपवास भी रखते हैं और इसी दिन कन्या पूजन का भी विधान है। इस साल शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) का आठवां दिन सोमवार यानि 3 अक्टूबर को पड़ रहा है। तो आइये जाते हैं इस दिन मां महागौरी की उपासना कैसे करें।
मां महागौरी की पूजन विधि
नवरात्रि के आठवें दिन स्नानादि के बाद महागौरी की पूजा करें। इनकी पूजा पीले वस्त्र धारण करके करनी चाहिए। मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें। पूजा में देवी को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद इनके चमत्कारी मंत्रों का जाप करें। अगर पूजा मध्य रात्रि मैं की जाय तो इसके परिणाम ज्यादा शुभ होंगे।
महागौरी की पूजा का महत्व
आदि शक्ति देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा करने से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। महागौरी की आराधना से दांपत्य जीवन, व्यापार, धन और सुख समृद्धि बढ़ती है। जो भी देवी भक्त महागौरी की सच्चे मन से आराधना व पूजन अर्चन करता है उसकी सभी मुरादें पूरी करती हैं। पूजा के दौरान देवी को अर्पित किया गया नारियल ब्राम्हण को देना चाहिए।
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महागौरी की पूजा से शीघ्र विवाह का वरदान
यह प्रयोग अष्टमी तिथि (Durga Ashtami) की रात्रि को करें। पीले वस्त्र धारण करके माता महागौरी की पूजा करें।उन्हें सफेद फूल, सफेद मिठाई और एक चांदी का सिक्का अर्पित करें। इसके बाद माता महागौरी के विशेष मंत्र का तीन या ग्यारह माला जप करें। मंत्र होगा- “हे गौरीशंकर अर्धांगी, यथा त्वां शंकर प्रिया। तथा माम कुरु कल्याणी , कान्तकांता सुदुर्लभाम।।” मंत्र जाप के बाद शीघ्र विवाह की प्रार्थना करें। चांदी के सिक्के को पीले कपड़े में बांधकर अपने पास रख लें।
अष्टमी के दिन करें कन्या पूजन
नवरात्र पर्व पर दुर्गाष्टमी के दिन कन्याओं की पूजा की जाती है। जिसे कंचक भी कहा जाता है। इस पूजन में नौ साल की कन्याओं की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि महागौरी की उम्र भी आठ साल की थी। कन्या पूजन से भक्त के पास कभी भी कोई दुख नहीं आता है और मां अपने भक्त पर प्रसन्न होकर मनवांछित फल देती हैं।