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भारत के खिलाफ बोलना बिलावल को पड़ेगा भारी, जयशंकर ने ऐसे की बोलती बंद

बिलावल भुट्टो ने भारत के खिलाफ उगला जहर

Bilawal Bhutto’s Vivadit Bayan: पाकिस्तान के भारत संग क्या रिश्तें हैं यह किसी से छुपा नहीं है और इसका कारण भी पाकिस्तान ही रहा है। भारत ने कई बार पाकिस्तान संग रिश्ते सुधारने की कोशिश की लेकिन, पाकिस्तान ये कभी नहीं चाहता। भारत पर लगातार बयानबाजी करने वाले पाकिस्तान एक हाथ सो मदद मांग रहा है और दूसरी ओर वो पीठ में खंजर घोंप रहा है। कांगाली के आलम में पाकिस्तान का साथ तो चीन ने भी छोड़ दिया है। जब पाकिस्तान ने चीन से कहा कि देश में बिजली की सप्लाई बढ़ा दी जाए तो उसके सदाबहार दोस्त ने यह कह दिया कि पहले बकाया पैसा जम करो वरना पूरा मुल्क अंधेरे में रहेगा। इसके बाद पाकिस्तान को भारत की याद आई है। लेकिन, यहां भी वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है।

हाल ही में एक बार फिर से पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी अपने उल-जलूल बयान की वजह से चर्चा में बने हुए हैं। इस बार अब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में एक बार फिर कश्मीर मुद्दे का राग अलापा है। बिलावल ने संयुक्त राष्ट्र में बोलने के मौके का इस्तेमाल भारत के खिलाफ जहर उगलने के लिए किया। लेकिन भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने जवाब से पूरे पाकिस्तान की बोलती बंद कर दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने ही आतंकी ओसामा बिन लादेन को पनाह दी थी। ऐसे में पाकिस्तान उपदेश देने के काबिल नहीं है।

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यहां बिलावल (Bilawal) ने कहा, ‘विश्व व्यवस्था, शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षा परिषद कश्मीर मुद्दे पर अपने प्रस्तावों को लागू करे।’ उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद की जिम्मेदारी है कि दुनिया में वह शांति को बढ़ावा दे। बिलावल भुट्टो-जरदारी ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से कश्मीर मुद्दे पर अपने प्रस्तावों को लागू करने का आह्वान किया।

जयशंकर ने मुंह पर लगाया ताला

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि एक देश जिसने-अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को शरण दी और अपने पड़ोसी देश की संसद पर हमला किया, वह संयुक्त राष्ट्र में उपदेश देने के काबिल नहीं है। जयशंकर ने कहा हमारे समय की प्रमुख चुनौतियां महामारी, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद आदि हैं। संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता इन मुद्दों पर प्रभावी प्रतिक्रिया पर निर्भर है। जयशंकर ने UNSC में ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा तथा सुधारित बहुपक्षवाद के लिए नयी दिशा’ विषय पर खुली बहस की अध्यक्षता की।