चीन इस समय ताइवान (Taiwan) पर पूरी तरह से अपना शिकंजा जमाने की फिराक में लगा हुआ है। ये जंग अगर छिड़ी तो ताइवान के बीच नहीं बल्कि चीन और अमेरिका (America) के बीच होने होगी। दरअसल, दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ जंग के खतरे को ध्यान में रखते हुए अमेरिका अपने 100 से 200 सैनिक की तैयारी करने में लगा हुआ है। फिलहाल अभी के लिए 30 के करीब अमेरिकी सैनिक ताइवान में मौजूद हैं और वे ताइवानी सेना को हथियारों और जंग की ट्रेनिंग देने का काम कर रहे हैं। वहीं चीन ने अब ये प्लान बनाया है कि अमेरिका अपने ट्रेनिंग देने वाले सैनिकों की संख्या को तीन गुना कर देगा ताकि चीन के हमले के खतरे के बीच ताइवान की सेना को व्यापक ट्रेनिंग दी जा सके। इन सैनिकों की तैनाती आने वाले समय में की जाएगी।
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन (US Department of Defense Pentagon) इन सैनिकों की तैनाती को बहुत प्रचारित नहीं करना चाहता है क्योंकि उसकी कोशिश चीन को भड़काए बिना ताइवान की बीजिंग के किसी हमले के खिलाफ रक्षात्मक क्षमता को मजबूत करना है। अमेरिकी सैनिकों में विशेष अभियान दल और अमेरिकी मरीन सैनिक शामिल हैं। इन सैनिकों की संख्या कम या ज्यादा होती रही है। अमेरिका की ओर से पिछले कई दशक में यह सैनिकों की ताइवान में सबसे बड़ी तैनाती है।
US और ताइवान दोनों ही जगह मिलेगी ट्रेनिंग
मालूम हो अमेरिकी नैशनल गार्ड अमेरिका के अंदर उत्तरी मिशिगन में ताइवान की सेना को ट्रेनिंग दे रहे हैं। इसमें कई देशों के साथ वार्षिक अभ्यास भी शामिल है। वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका (America) और ताइवान के अंदर इस सैन्य ट्रेनिंग को बढ़ाकर बाइडन प्रशासन अपने सहयोग को बढ़ाना चाहता है ताकि चीन के किसी हमले के खिलाफ अपनी सैन्य तैयारी को पुख्ता किया जा सके। दक्षिण चीन सागर में अब सैन्य तैयारी बहुत तेजी से गति पकड़ रही है और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी अपने आक्रामक अभियान को तेज कर रही है।
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दरअसल, चीन लगातार ताइवान के पास दर्जनों फाइटर जेट और जंगी जहाज भेज रहा है। पिछले साल तो चीन ने ताइवान की चारों ओर से घेरेबंदी करके जोरदार युद्धाभ्यास किया था। पिछले साल रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद पेंटागन ने ताइवान को ऐसी रणनीति अपनाने के लिए प्रयास तेज कर दिया है जिसके तहत उसे अपने हथियार अपनाने होंगे जो चीन को हमला करने से एक नहीं बल्कि बार-बार सोचने को मजबूर करे देंगे।