कंगाली के हाल से बेहाल पाकिस्तान (Pakistan) इन दिनों कई सारी समस्याओं का एक साथ सामना कर रहा है। जिसमें से महंगाई के चलते पाकिस्तान में हाहाकार मचा हुआ है। इस वक्त आलम यह है कि आधा से ज्यादा पाकिस्तान जबरदस्त महंगाई की मार झेल रहा है। इस दौरान आर्थिक तंगी में फंसे पाकिस्तान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) से कोई राहत फिलहाल आती नहीं दिख रही है। वहीं पाकिस्तान में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खर्च में कटौती की घोषणा की है। इस बीच सोमवार को नेशनल असेंबली को पाकिस्तानी कैबिनेट सदस्यों की विदेशी यात्राओं और प्रोटोकॉल वाहनों की खरीद पर हुए मोटे खर्च के बारे में जानकारी दी गई। ये आंकड़े सरकार के पहले नौ महीनों के हैं। जानकारी में सामने आया कि सरकार ने विदेशी यात्राओं पर करीब 6.40 करोड़ रुपए और आठ गाड़ियों की खरीद पर 5.70 करोड़ रुपए खर्च किए। पाकिस्तानी मंत्री सरकारी खजाने से यह पैसा तब खर्च कर रहे थे जब मुल्क कंगाली की रास्ते पर आगे बढ़ रहा था।
गठबंधन सरकार के पहले नौ महीनों के दौरान कैबिनेट के 23 सदस्यों के विदेशी दौरों पर 63.71 मिलियन रुपए खर्च किए गए। हालांकि इस सूची में सिर्फ वे दौरे शामिल हैं जो कैबिनेट डिवीजन के माध्यम से किए गए थे। चूंकि जीडीए सदस्य ने 2022 में कैबिनेट सदस्यों की विदेशी यात्राओं के बारे में जानकारी मांगी थी इसलिए इसमें पीटीआई के पूर्व मंत्रियों की यात्राओं की भी जानकारी शामिल थी।
बिलावल अपने खर्च पर यात्रा करते हैं?
आंकड़ों से मालूम होता है इमरान खान की सरकार में पिछली कैबिनेट के सात सदस्यों की विदेशी यात्राओं से देश के खजाने को 62 लाख रुपए से अधिक का नुकसान हुआ। सरकार की ओर से दी गई जानकारी में कई मंत्रियों का नाम शामिल नहीं है। पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर के अनुसार, अहसान इकबाल नाम के मंत्री 12 से 14 दिसंबर तक स्विट्जरलैंड की यात्रा पर थे लेकिन उनका नाम लिस्ट से गायब है। विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की विदेशी यात्राओं का भी कोई जिक्र नहीं है।
ये भी पढ़े: पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई से हर ओर मचा हाहाकार, कंगाली में कहीं फूट न जाए अवाम का गुस्सा!
यात्राओं पर फूंक रहे जमकर पैसा
विदेशी यात्राओं का ब्यौरा मांगने वाले महर ने ‘अधूरी जानकारी’ का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने संबंधित मंत्री से यह भी पूछा था कि इन यात्राओं का उद्देश्य क्या था, ‘इन यात्राओं से पाकिस्तान को क्या हासिल हुआ?’ साथ ही उन्होंने ऐसे समय में इन यात्राओं के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाया जब देश गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।