गंभीर आर्थिक संकट से बुरी तरह जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan) की मुश्किलें बिल्कुल भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जी हां, पाकिस्तान दिवालिया होने से सिर्फ और सिर्फ एक कदम दूर है और उसे लोन के लिए सऊदी अरब, चीन, आईएमएफ और अमेरिका से गिड़गिड़ाना पड़ रहा है। चीन जहां बेहद ऊंचे ब्याज दर पर लोन दे रहा है, वहीं आईएमएफ पाकिस्तान की बार-बार भीख मांगने की आदत को देखते हुए कर्ज देने से पहले कड़ी शर्ते लाद रहा है। वहीं बड़बोले वित्त मंत्री इशाक डार ने आईएमएफ से लोन नहीं मिलने के पीछे इमरान सरकार पर ठीकरा फोड़ दिया है। ऐसे में भविष्य में इस तरह के संकट से बचने के लिए अब अपनी अर्थव्यवस्था को ठीक उसी तरह से रीस्ट्रक्चर करने की सलाह दे रहे हैं, जैसे भारत ने 1990 के दशक में किया था।
अखबार डॉन के मुताबिक वित्त मंत्री इशाक डार ने कहा कि पिछली सरकार ने साल 2019 में 6 अरब डॉलर के फंडिंग प्रोग्राम के लिए वादे आईएमएफ से किए थे, उसे पूरा नहीं किया जिससे अब भरोसे का संकट पैदा हो गया है। अखबार ने अपने संपादकीय में कहा कि इशाक डार सही हैं और इमरान खान की पीटीआई सरकार ने आर्थिक सुधार करने से अपने कदम पीछे खींच लिए थे जिसका उन्होंने वादा किया था। यही नहीं इमरान ने कुछ कदम उठाए लेकिन बाद में उसे पलट भी दिया।
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‘भारत की राह पर चले पाकिस्तान’
आर्थिक संकट में बुरे फंसे दुनिया के देशों को आईएमएफ (IMF) से इसलिए कर्ज मिलने में अप्रत्याशित देरी हो रही है क्योंकि चीन और पश्चिमी देशों के बीच कर्ज राहत किस तरह से दी जाए, इसको लेकर विवाद चल रहा है। इसमें बताया गया है कि जांबिया को आईएमएफ से कर्ज मिलने में 271 दिन और श्रीलंका को बेलआउट पैकेज लेने में करीब 200 दिन लग गए। पाकिस्तान को जहां लोन नहीं मिल पा रहा है, वहीं उसके डॉलर का भंडार सूखता जा रहा है।
पाकिस्तान के दोस्त देश भी आईएमएफ से डील हुए बिना पाकिस्तान को लोन देने को तैयार नहीं हैं। डॉन ने कहा कि चीन भले ही पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार को सुधारने के लिए आगे आया हो लेकिन पर्याप्त नहीं होने जा रहा है। पाकिस्तान को अगर भविष्य में इस तरह के महासंकट से बचना है तो हमें अपनी अर्थव्यवस्था को ठीक उसी तरह से रीस्ट्रक्चर करना होगा जैसे भारत ने 1990 के दशक में किया था। अखबार ने चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान भारत की राह पर नहीं चला तो उसे और ज्यादा शर्मनाक स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।