चीन (China) लगातार ताइवान को डराने-धमकाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में ताइवान को लेकर सुपरपावर अमेरिका और चीन के बीच तनाव गहराता जा रहा है और विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि ये आने वाले समय में युद्ध में बदल सकता है। हालिया एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन के मुकाबले अमेरिका के हमला करने की ताकत में अंतर बहुत ही ज्यादा बढ़ता जा रहा है। इस वजह से चीन की विस्फोटक और प्रपेलन्ट बनाने की क्षमता काफी ज्यादा हो गई है और वहीं अमेरिका कारखाने इस मामले में पिछड़ते जा रहे हैं। इतना ही नहीं चीन ने अब तो RDX से 40 फीसदी ज्यादा घातक विस्फोटक बना लिया है।
फोर्ब्स की रिपोर्ट के मुताबिक यह CL-20 का उन्नत संस्करण है जिसका निर्माण 1980 के दशक में किया गया था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने साल 2011 में CL-20 के समकक्ष का परीक्षण किया था। इसके बाद से लेकर अब तक चीन ने बहुत बड़े पैमाने पर इस विस्फोटक का निर्माण कर लिया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी सेना के ज्यादातर विस्फोटक अमेरिका के केवल एक प्लांट में होल्स्टोन में बनाए जाते हैं।
अमेरिका बम बनाने के लिए चीन पर निर्भर
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीएल-20 जैसे नए विस्फोटकों का निर्माण इन पुरानी तकनीकों से नहीं किया जा सकता है। इस विस्फोटक को केमिकल रिएक्टर की मदद से बहुत कम मात्रा में तैयार किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका वर्तमान समय में मौजूद केमिकल के भंडार से एक साल में केवल 10 टन सीएल-20 तैयार कर सकता है। अमेरिका को व्यापक इस्तेमाल के लिए हर साल 1000 टन सीएल-20 की जरूरत होगी।
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अमेरिका सैन्य विस्फोटक बनाने के लिए जरूरी केमिकल के लिए चीन पर बुरी तरह से निर्भर है। करीब 6 केमिकल तो उसे चीन से मंगाना पड़ता है। इससे अमेरिका के सुरक्षा तैयारी को लेकर बड़ा सवाल उठ रहा है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ताइवान में युद्ध होने पर अमेरिका को बड़े पैमाने पर चीनी मिसाइलों का सामना करना पड़ेगा।