ब्रिटैन (UK) को अब खुद विभाजन का डर सता रहा है। भारत पाकिस्तान का विभाजन करने वाला देश अब अपने हाथों को कटता हुआ देख रहा है।आपको बता दें के ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब स्कॉटलैंड(Scotland) ने UK से अलग होने की मांग करी है। लेकिन पहले मुस्लिम मंत्री हमजा यूसफ़ के नियुक्त होने के बाद से इस मुहीम में और तेज़ी आ गई है। उन्होंने अपने प्रचार के दौरान इस मुद्दे को खूब हवा दी थी। उन्होंने कहा थी कि अगर वो प्रथम मंत्री बनते हैं तो वो स्कॉटलैंड(Scotland) को ब्रिटेन से अलग कर स्वतंत्र देश बनाने की दिशा में मजबूत कदम आगे बढ़ाएंगे। इसके अलावा उनकी पार्टी स्कॉटिश नेशनल पार्टी की मांग भी वर्षों से इस देश को ब्रिटेन से अलग कराना है।हमजा यूसुफ को स्कॉटिश नेशनल पार्टी का नया नेता चुना गया है। उन्होंने निकोला स्टर्जन की जगह ली और स्कॉटलैंड(Scotland) के अगले फर्स्ट मिनिस्टर (प्रथम मंत्री) बनें। फर्स्ट मिनिस्टर यानी कि वहां का प्रधानमंत्री इस पद पर होने वाला व्यक्ति यहां का सर्वोच्च नेता होता है जिनके हाथों में सभी विधायी और कार्यपालिका की शक्तियां होती हैं।
सत्तारूढ़ स्कॉटिश नेशनल पार्टी के प्रमुख के रूप में चुने जाने पर हमजा यूसुफ ने एक लंबी स्पीच दी थी यूसुफ ने अपने पहले ही भाषण में स्कॉटलैंड की आजादी का जिक्र छेड़ दिया था। उन्होंने कहा कि वह स्कॉटलैंड को (यूनाइटेड किंगडम से) आजादी दिलाएंगे। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यूसुफ ने अपने भाषण में कहा, “स्कॉटलैंड के लोगों को अब आजादी की जरूरत है, और हम उनको स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए प्रयास करेंगे।”
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इंग्लैंड, वेल्स, नॉदर्न आयरलैंड और स्कॉटलैंड इन चारों देशों आइडेंटिटी भले ही यूके की हो लेकिन, इन चारों प्रांत की अपनी एक अलग पहचान हैं। यहां की नेताओं से लेकर भाषाएं सब अलग अलग हैं। पूरे यूनाइटेड किंगडम की आधिकारिक भाषा भले ही अंग्रेजी है, लेकिन वेल्स में वेल्श की भाषा बोली जाती है को स्कॉटलैंड में स्कॉटिश भाषा का ही इस्तेमाल किया जाता है।
क्यों आज़ाद होना चाहता है स्कॉटलैंड ?
स्कॉटलैंड की आबादी 55 लाख है।यानी ये आबादी ब्रिटेन की कुल जनसंख्या का 8 प्रतिशत है। स्कॉटलैंड की माने तो इतनी आबादी होने के बाद भी उनके लिए ब्रिटेन का फैसला लेना स्कॉटलैंड के हित में नहीं हैं। वहीं साल 2020 की द इकोनॉमिस्ट की रिपोर्ट की मानें तो इंग्लैंड, स्कॉटलैंड का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। स्कॉटलैंड में बनने वाला 60 फीसदी सामान इंग्लैंड में बिकता है, लेकिन स्कॉटलैंड को लगता है कि 60 फीसदी सामान बिकने के बाद भी इसका पूरा फायदा उसे नहीं मिलता है।