चीन(China) और जापान(Japan), एशिया के दो-धुर विरोधी मुल्क, जिनकी हुकूमतों के बीच अब सुलह का द्वार खुल गया है। कई साल बाद जापानी विदेश मंत्री चीन (China) के दौरे पर पहुंचे हैं। दोनों देशों के प्रतिनिधियों के हाथ मिलना, दुनिया के लिए एक चौंकाने वाला कदम है। इसलिए ग्लोबल एक्सपर्ट्स की निगाह इस पर है कि दोनों देशों में क्या-कुछ बातचीत होंगी।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जापान के विदेश मंत्री योशीमासा हायाशी चीन के विदेश मंत्री किन गैंग से मिल रहे हैं, दोनों की ये मुलाकात बीजिंग में हुई है। ये मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है, जबकि चीन और जापान के बीच टकराव स्थिति बनी हुई है।
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गौरतलब है कि चीन और जापान(Japan) दोनों एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं, और तकनीक के लिहाज से भी ये दुनिया के अग्रणी मुल्कों में गिने जाते हैं। दोनों के कल्चर में ज्यादा फर्क नहीं है, लेकिन आपसी-संबंध शुरू से ही शत्रुतापूर्ण रहे हैं। एक समय ऐसा था जब चीन पर जापान की ही हुकूमत चलती थी, दोनों के बीच हुए खूनी संघर्ष में लाखों लोग मारे गए। फिर, द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में जापान परमाणु हमले का शिकार हो गया तो चीन के सभी इलाके स्वतंत्र हो गए।
चीन और जापान के विवाद की क्या है वजह ?
चीन और जापान के विवाद की बड़ी वजह द्वीपों पर कब्जा होना है. दक्षिण चीन सागर में जापानी आधिपत्य वाला सेंकाकू द्वीप समूह है, जिसे चीन अपना बताता है. दरअसल, सेंकाकू पूर्वी चीन सागर में स्थित 8 द्वीपों का समूह है. इन पर कोई नहीं रहता है. ये द्वीप ताइवान के उत्तर-पूर्व, चीनी मुख्य भूमि के पूर्व में और जापान के दक्षिण-पूर्व प्रांत में स्थित हैं. चीन ने जापान ही नहीं, कई और एशियाई देशों के द्वीपों पर भी दावा ठोका है. ऐसे में दुनिया ये देखना चाहती है कि चीन और जापान के बीच 3 साल बाद हो रही ऑफिशियल मीटिंग में क्या बातचीत होंगी, वे कौन-से मुद्दे होंगे, जिनपर उनके बीच सहमति की गुंजाइश है. मीटिंग खत्म होने के बाद यह स्पष्ठ हो पाएगा.