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2,000 खोपड़ियों का राज़,इतिहास का एक अनोखा सच

पुरातत्वविद् फ़राओ रामसेस II द्वारा निर्मित एक मंदिर में 2,000 भेड़ों की ममीकृत खोपड़ियों को पाकर चकित (फ़ोटो: सौजन्य : Twitter/@TourismandAntiq)

मिस्र के सबसे महान फ़राओ में से एक माने जाने वाले रामसेस II से जुड़ी कोई भी चीज़ हमेशा न केवल इतिहासकारों, बल्कि आम जनता के बीच भी दिलचस्पी पैदा कर देती है। यह न्यू किंगडम शासक, जिसे रामेसेस द ग्रेट के नाम से भी जाना जाता है, अपने सैन्य अभियानों और रणनीतियों, उच्च श्रेणी की कूटनीति और राज्य को समृद्ध बनाने के लिए जाने जाते हैं।

1303 ईसा पूर्व में जन्मे रामसेस द्वितीय उन्नीसवें राजवंश के तीसरे शासक थे और 1213 में उनका निधन हो गया और तब से एक सेलिब्रिटी के रूप में उनकी हैसियत बनी हुई है और अब हाल ही में smithsonianmag.com की रिपोर्ट के अनुसार उनकी मृत्यु के 1,000 साल बाद हुई टॉलेमिक काल से सम्बन्धित एक खोज ने उन्हें फिर से सुर्ख़ियों में ला दिया है।

इस हालिया खोज में इंस्टीट्यूट फ़ॉर द स्टडी ऑफ़ द एंशिएंट वर्ल्ड, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के पुरातत्वविदों को एक प्राचीन शहर एबिडोस के एक मंदिर में 2,000 भेड़ों की ममीकृत खोपड़ियां मिली हैं। इस विशाल संग्रह ने मिस्र के वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है।

इस खोज के बारे में विवरण साझा करते हुए इस टीम का नेतृत्व करने वाले अहमद शकत ने मीडिया को बताया: “हमें पहले इन खोपड़ियों के कुछ बिखरे हुए टुकड़े मिले। हमें नहीं पता था कि वे क्या थे, लेकिन जैसे-जैसे हमने अपनी खुदाई और अन्वेषण आगे बढ़ाया, अचानक हमें एक पूरा का पूरा इलाक़ा ही भेड़ों की खोपड़ियों से भरा हुआ मिला।

मिस्र के पर्यटन और पुरावशेष मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि ये खोपड़ियां शासक को उनकी शव-यात्रा में भेंट की गई थीं।

ममीकृत गायों, बकरियों, नेवले, कुत्तों और चिंकारा के साथ-साथ ये 2,000 खोपड़ियां बहुत बाद की अवधि की हैं। यह टॉलेमिक काल सहित सैकड़ों वर्षों के बाद भी रामसेस द्वितीय के प्रति लोगों की श्रद्धा और सम्मान को दर्शाता है।

टॉलेमिक काल- 332 ईसा पूर्व से 30 ईसा पूर्व तक का माना जाता है,जो कि  323 ईसा पूर्व में सिकंदर महान की मृत्यु के बाद अस्तित्व में आया था। उसने भूमध्य सागर के आसपास जिन क्षेत्रों को जीता था, वे उसके सेनापतियों के बीच विभाजित हो गए थे। टॉलेमी को मिस्र मिल गया था और उसने ख़ुद को फराओ घोषित कर दिया था और उसके साथ ही शुरू हुआ उस राजवंश का सिलसिला, जिसे इस प्राचीन सभ्यता का अंतिम राजवंश माना जाता है।

हालांकि एबिडोस वह जगह है, जहां रामसेस द्वितीय से पहले कई फ़राओ को दफनाया गया था, मगर यहां रामसेस द्वितीय को नहीं दफ़नाया गया था। इस मंदिर का निर्माण उनके 66 साल के शासन के दौरान ही किया गया था और यह मृतक के मिस्र के देवता ओसिरिस और उनके पिता सेती प्रथम को समर्पित था, जिन्होंने 1294 से 1279 ईसा पूर्व तक शासन किया था।

जानवरों की इन ममीकृत खोपड़ी के अलावा, शोधकर्ताओं को ऐसी ईंटें भी मिलीं हैं,जो किसी ऐसी दीवार का हिस्सा थीं, जो पुराने साम्राज्य की रही हैं। यह अवधि रामसेस द्वितीय के शासन से बहुत पहले की थी। वे इस बारे में अनिश्चित हैं कि इसका निर्माण क्यों किया गया था।

इस्कंदर के अनुसार: “यह संभव है कि यह प्राचीन एबिडोस की दीवार थी, जो कभी नहीं मिली थी। क्या यह कुछ और हो सकता है ? हो सकता है कि हम अभी इसी पर काम कर रहे हों।”इस्कंदर ने इसे एक महत्वपूर्ण खोज करार देते हुए कहा कि यह “रामसेस II मंदिर के निर्माण से पहले एबिडोस के प्राचीन परिदृश्य की भावना को फिर से स्थापित करने में मदद कर सकता है।”