TTP Afghan Taliban: पाकिस्तान ने जिन आतंकवादियों को भारत के खिलाफ आतंक फैलाने के लिए जन्म दिया था आज वही उसकी कब्र खोदने में लगे हुए हैं। मुल्क में में अब तक कई धमाके कर चुकें है। आलम यह है कि देश अब दो टूकड़ों में बंटता नजर आ रहा है। पाकिस्तान की शहबाज सरकार और आर्मी के लिए इस वक्त सबसे बड़ा टेंशन टीटीपी (TTP Jihad in Pakistan) बन गया है। टीटीपी इस वक्त पाकिस्तान में जमकर हमले कर रहा है। अब तो टीटीपी ने अपने लड़ाकों से कहा है कि, पाकिस्तान में जमकर हमले करो, इसके लिए अपनी पूरी ताकत लगा दो। टीटीपी इसे जिहाद बता रहा है। साथ ही उसने कहा है कि, पाकिस्तान खून के आंसू रोएगा। तहरीक-ए-तालिबान (TTP) ने पाकिस्तान के खिलाफ जिहाद (TTP Jihad in Pakistan) का ऐलान किया है। उसने अपने लड़ाकों से कहा है कि वे जहां हैं, वहीं से पूरे पाकिस्तान में हमले करें।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अफगान तालिबान का पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठान और कानून-प्रवर्तन को निशाना बनाने वाले हमलों में सक्रिय रूप से भाग लेने का पता चला है। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के एक वरिष्ठ आतंकवाद रोधी अधिकारी ने कहा, ‘जांच से पता चलता है कि प्रत्येक ‘तशकिल’ (आंदोलन) में, अगर टीटीपी के दस सदस्यों को भेजा गया, तो उसमें पांच या चार अफगान नागरिक थे। उन्होंने खुलासा किया, ‘कराची में पुलिस स्टेशन पर हुए हमले में शामिल दो आतंकवादी अफगान नागरिक थे।’ सूत्र ने कहा, ‘हमने काबुल की सरकार को पाकिस्तान में हाल ही में उग्रवाद में वृद्धि और इन गतिविधियों में अफगान तालिबान की भागीदारी के बारे में सूचित और चेतावनी दी है। हमने मांग की है कि वे हमारे देश में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में अपनी भूमिका निभाएं।’
तालिबान और टीटीपी में है गहरा रिश्ता
पत्रकार ने कहा, ‘उत्तरी वजीरिस्तान में हुए पिछले दस आत्मघाती हमलों में से तीन का पता अफगानिस्तान में चला है।’ द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, ‘यह दर्शाता है कि टीटीपी और अफगान तालिबान के बीच संबंध अभी भी कायम हैं, और टीटीपी काबुल से समर्थन का आनंद ले रहा है।’ सूत्रों के मुताबिक, तालिबान समूहों के विलय से पूरे पाकिस्तान में टीटीपी के हाथ मजबूत हुए हैं।
नहीं है कोई बातचीत की कोई संभावना
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, सूत्र ने कहा, ‘दोनों के बीच इतना विश्वास था कि मुफ्ती नूर वली ने मजाक में कहा कि वह अपने भाई से ज्यादा उन पर भरोसा करते हैं।’ सूत्र ने कहा कि ब्रिगेडियर बर्की ने हमेशा अपने जोखिम पर अफगानिस्तान की यात्रा की और मुफ्ती नूर वली और अन्य टीटीपी शूरा सदस्यों को आश्वासन के साथ बातचीत के लिए आने के लिए मजबूर किया।