चीन (China) ने उस मिसाइल क्षमता को परखा है जिसके बाद वह दुश्मन की मिसाइलों को पल में ढेर कर सकेगा। इस क्षमता के सफल टेस्ट के बाद जमीन पर मौजूद चीन (China) का परमाणु हथियारों का जखीरा पूरी तरह से सुरक्षित रह सकेगा। कहा जा रहा है कि चीन (China)ने अमेरिका और भारत के खिलाफ अपने सुरक्षा घेरे को मजबूत करने के मकसद से ही इस क्षमता का टेस्ट किया है। माना जा रहा है कि जिस तरह से भारत और अमेरिका अपने परमाणु हथियारों में सुधार कर रहे हैं चीन भी उनकी ही तरह अपने जखीरे में इजाफा करना चाहता है।
टेस्ट को चीन की सीमा में ही अंजाम दिया गया :चीनी रक्षा मंत्रालय
चीनी(China) रक्षा मंत्रालय का दावा है कि इस टेस्ट को चीन की सीमा में ही अंजाम दिया गया है। चीन की मानें तो टेस्ट को किसी भी देश को ध्यान में रखकर नहीं किया गया है। हालांकि रक्षा मंत्रालय की तरफ से यह नहीं बताया गया कि टेस्ट में टारगेट को सफलतापूर्वक भेदा गया या नहीं या फिर कितनी इंटरसेप्टर मिसाइल को फायर किया गया था। न ही इस बात की कोई जानकारी दी गई कि इंटरसेप्टर मिसाइलें कहां पर जाकर गिरी थीं। माना जा रहा है कि टेस्ट में चीन ने HQ-19 मिसाइल इंटरसेप्टर का प्रयोग किया होगा।
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आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन की तरफ से बताया गया है कि यह इंटरसेप्टर बिल्कुल अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) की ही तरह है। चीनी सिस्टम की रेंज एक हजार से तीन हजार किलोमीटर तक बताई जाती है। इसे ऐसे डिजाइन किया गया है कि यह इटरमीडिएट-रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) को बीच में ही इंटरसेप्ट कर लेता है। यह पहली बार नहीं है जब चीन ने अपने मिसाइल डिफेंस को टेस्ट किया है। पिछले साल अक्टूबर में भी चीन के सफल लैंड बेस्ड मिड-कोर्स इंटरसेप्शन टेस्ट की एक रिपोर्ट आई थी। इसमें चीन के रक्षा मंत्रालय ने जोर देकर कहा था कि यह रक्षात्मक था और किसी भी देश के लिए नहीं था।
पिछले साल भारतीय नौसेना ने आईएनएस अरिहंत परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (एसएसबीएन) से एक बैलेस्टिक मिसाइल (SLBM) को लॉन्च किया था। यह टेस्ट सफल रहा था। भारत ने टेस्ट के दौरान जिस बैलेस्टिक मिसाइल का प्रयोग किया था उसे सागरिका के तौर पर बताया गया था। इसकी रेंज 700 किमी है और यह एक टन के हथियार ले जा सकती है। भारत की तरफ से चीन के साथ लगी सीमा पर रॉकेट फोर्स को भी तैनात करने के कदम उठाए जा रहे हैं।