पाकिस्तान में इमरान खान की गिरफ़्तारी के बाद से पीटीआई समर्थकों ने बवाल काट दिया था। जिसके बाद से उन्होंने पुरे देश में आग लगा दी थी। इमरान के समर्थकों ने सेना (ARMY) से जुड़ी बिल्डिंग पर भी हमला किया, जिसके बाद सेना ने कड़ा रुख अपनाया है। सेना ने कहा है कि सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करने और इससे जुड़े लोगों के खिलाफ आर्मी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। सेना (ARMY) की इस घोषणा के बाद अब सिर्फ पाकिस्तान में आर्मी एक्ट की चर्चा हो रही है। आर्मी एक्ट का खौफ इतना ज्यादा है कि जो इमरान खान अभी तक सेना के जनरलों के खिलाफ बयान देते थे वह भी अब सेना की इज्जत करने की बात कह रहे हैं। आर्मी एक्ट में फंसने के डर से इमरान की पार्टी के कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दिया है। आइए जानते हैं कि पाकिस्तान आर्मी एक्ट 1952 क्या है?
अधिनियम के तहत आने वाले मामलों की सुनवाई की अदालत को फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल कहा जाता है। यह सैन्य अदालत सेना के कानूनी निदेशालय की देखरेख में काम करती है, जिसे जज एडवोकेट जनरल ब्रांच भी कहा जाता है। इस अदालत का अध्यक्ष एक सैन्य अधिकारी होता है। इसके साथ ही अभियोजन पक्ष का वकील भी एक सैन्य अधिकारी होता है। आरोपियों को एक वकील रखने का अधिकार होता है। 40 दिनों के अंदर प्रतिवादियों को सेना की ही अदालत में अपील करने का अधिकार है।
जिस देश में ARMY का हुक्म चलता हो वहां हर कोई आर्मी से डरेगा
कागजों में यह आर्मी (ARMY) एक्ट बेहद अच्छा दिखेगा। लेकिन यह उससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। जिस देश में सेना (ARMY) का हुक्म चलता हो वहां हर कोई आर्मी से डरेगा। भारत के कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाने वाला यही कोर्ट है। यहां बेहद गलत तरीके से सुनवाई होती है और इसी वजह से पाकिस्तान को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में जलील होना पड़ा। आरोपों के हिसाब से अलग-अलग सजा हो सकती है। इसमें उम्रकैद के साथ-साथ फांसी की सजा भी हो सकती है। पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेना प्रदर्शन से जुड़े मामले में तीन मिलिट्री कोर्ट बनाने पर विचार कर रही है।
यह भी पढ़ें: पूरी तरह कंगाल हुआ Pakistan,पैसे को मोहताज मुल्क में छाएगा अंधेरा, गुल होगी बिजली