किसी भी शहर या गांव में शादियां होना एक आम बात है। लेकिन इस रविवार को कोच्चि में हुए एक समारोह ने न सिर्फ़ लोगों, बल्कि मीडिया का भी ध्यान अपनी तरफ़ खींचा। यह समारोह एक यहूदी शादी का था। यह घटना केरल में 15 साल बाद कोच्चि में घट रही थी। इस शादी में नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन के एक वैज्ञानिक रिचर्ड ज़ाचरी रोवे ने राचेल बेनॉय मालाखाई के साथ शादी रचायी।
2008 में केरल में आख़िरी यहूदी शादी मट्टनचेरी के थेक्कुमभगम सिनेगॉग में हुई थी।
दिलचस्प बात यह है कि यह समारोह इजराइल से आए रब्बी एरियल टायसन की अध्यक्षता में एक निजी रिसॉर्ट में आराधनालय के बाहर आयोजित किया गया था। उन्होंने चौपाह या हुप्पा नामक छत्र के नीचे शादी की रस्म अदा की।
#WATCH | Kerala: Kochi witnessed its first Jewish wedding in 15 years on 21st May, when Rachel and Richard tied the knot at a resort. The marriage was officiated by a Rabbi from Israel.
Rachel is the daughter of former Crime Branch Superintendent Binoy Malakhai while Richard is… pic.twitter.com/UNEroILNOb
— ANI (@ANI) May 22, 2023
इसका कारण यह था कि वहां एक बड़ी सभा थी, जिसमें समुदाय के सदस्य शामिल थे। किसी एक आराधनालय में सबका अंट पाना संभव नहीं था । केरल के सिनेगॉग को संरक्षित विरासत स्थलों के रूप में नामित किया गया है।
मलाखी यूएस में रहने वाले एक डेटा वैज्ञानिक हैं, जिनकी जड़ें तिरुवनंतपुरम में हैं।वहीं रोवे एक अमेरिकी हैं। वह पुलिस अधीक्षक (अपराध शाखा) बेनोय मलाखी की बेटी हैं, जबकि उनकी मां मंजूशा मिरियम इमैनुल हैं, जो एक नैदानिक मनोवैज्ञानिक हैं।
रब्बी टायसन ने मीडिया को बताया कि यहूदियों के बीच शादियां हिब्रू बाइबिल, टोरा में निर्धारित नियमों पर आधारित होती हैं। तदनुसार आगे बढ़ते हुए रब्बी ने मानक विवाह अनुबंध या ‘केतुबा’ पढ़ा, जिसके बाद जोड़े ने अंगूठियों का आदान-प्रदान किया।
शादी के बाद दूल्हे ने परंपरा के अनुसार कांच को तोड़ने के लिए उस पर पैर रखा। यह अनुष्ठान विशेष इसलिए है, क्योंकि यह माना जाता है कि यह शादी के आनंदमय मूड को शांत रखता है और जोड़े और लोगों को यहूदी इतिहास में एक दुखद घटना – मंदिरों के विनाश को रोकने और याद करने के लिए इकट्ठा करता है।
जहां रोवे ने एक ऐसी पारंपरिक प्रार्थना शॉल पहनी थी, जिसे ‘तल्लित’ कहा जाता है, वहीं दुल्हन को अपनी भारतीय परंपराओं का प्रदर्शन करते हुए साड़ी पहनाया गया था। समारोह के अंत में जोड़े और रिश्तेदारों ने हिब्रू गीतों पर नृत्य किया और लोगों के स्वाद के लिए यहूदी धार्मिक क़ानूनों के अनुसार भोजन तैयार किया गया।
यहूदियों का भारत के साथ एक लंबा संबंध रहा है। सबसे पहले राजा सोलोमन के शासनकाल के दौरान 2,000 साल पहले यहूदी केरल पहुंचे थे। यह समुदाय कई जत्थों में आता रहा और कोलकाता, मुंबई और चेन्नई सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बस गया।
इज़राइल के निर्माण के साथ ही यहूदियों की एक बड़ी संख्या देश में अब बहुत कम रह गयी है।