इस वक्त दुनिया में हथियारों की एक रेस चल रही है। अमेरिका (America) अपने दो सबसे शक्तिशाली दुश्मनों चीन और रूस से मुकाबले के लिए विनाशकारी हथियार तैयार कर रहा है। अब वॉशिंगटन ने अपनी ‘कैरियर किलर’ हाइपरसोनिक मिसाइल की योजना का खुलासा किया है। अमेरिका के दोनों दुश्मनों के पास हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं, जिनकी रफ्तार ध्वनि की गति से 12 गुना ज्यादा है। लेकिन अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने हथियारों की इस रेस में आगे निकलने के संकेत दे दिए हैं।
America ने यह कदम चीन के हाइपरसोनिक हथियारों के विशाल शस्त्रागार के जवाब में उठाया है
अमेरिकी (America) नौसेना का कहना है कि वह हाइपरसोनिक एयर-लॉन्च ऑफेंसिव एंटी-सरफेस वारफेयर मिसाइल या HALO को 2028 तक सर्विस में लाना चाहती है। अमेरिका इस एंटी-शिप मिसाइल से चीन के नए एयरक्राफ्ट कैरियर फ्लीट को निशाना बनाने में सक्षम होने की उम्मीद कर रहा है। अमेरिका ने यह कदम चीन के हाइपरसोनिक हथियारों के विशाल शस्त्रागार के जवाब में उठाया है जिन्हें ‘कैरियर किलर’ कहा जाता है। इनका उद्देश्य अमेरिकी नौसेना की शक्ति को बेअसर करना और प्रशांत क्षेत्र में अमेरिकी ठिकानों पर हमला करना है।
चीन की मिसाइलों के बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
जनवरी की शुरुआत में चीन की मिसाइल डीएफ-17 पूरी तरह चालू हो गई थी। अमेरिकी सेना के मुताबिक यह ‘युद्धाभ्यास’ और ‘निवारक कार्रवाई’ करने में सक्षम है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीन अपनी ‘अजेय’ मिसाइलों से कैलिफोर्निया से लेकर जापान तक अमेरिकी ठिकानों पर हमला कर सकता है। HALO की बदौलत अमेरिका रूस की किंजल या डैगर हाइपरसोनिक मिसाइल का मुकाबला करने में सक्षम होगा, जिसे क्रेमलिन ‘अपराजेय’ बताता है।
रूस के पास हैं सबसे अधिक सक्रिय परमाणु हथियार
रूस के पास सबसे ज्यादा 6500 परमाणु हथियार हैं, जिसमें से 1600 सक्रिय अवस्था में हैं। वहीं अमेरिका के कुल 6185 परमाणु हथियार हैं और 1600 सक्रिय अवस्था में हैं। परमाणु हथियारों को अगर आधार माना जाए तो रूस और अमेरिका दुनिया के सबसे ताकतवर देश हैं।
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