अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) में जब से तालिबान राज आया तब से महिलाएं खुल कर सांस तक नहीं ले पा रही हैं। महिलाएं खौफ के साए में जी रही हैं। इस्लाम इस्लाम का राग अलापने वाला यह तालिबान महिलाओं पर अत्याचार की हदें पार किये जा रहा है। अफ़ग़ानिस्तान से आए दिन महिलाओं पर अत्यचार की खबरें सुनाई देती हैं। इस्लाम की आड़ में तालिबानी कट्टरपंथी अपनी कट्टरता दिखा रहे हैं। तालिबान राज में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब महिलाओं पर अत्याचार हो रहा हो। लेकिन, सवाल यह है की आखिर यह अत्याचार कब तक ?
अब अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) में स्कूल में पढ़ने वाली छात्रों को ज़हर दिया गया है। एक स्थानीय शिक्षा अधिकारी ने रविवार को कहा कि उत्तरी अफगानिस्तान (Afghanistan) में उनके प्राथमिक स्कूलों में दो अलग-अलग हमलों में करीब 80 लड़कियों को जहर दिया गया और अस्पताल में भर्ती कराया गया। शिक्षा अधिकारी ने कहा कि जहर देने वाले व्यक्ति की व्यक्तिगत दुश्मनी थी, लेकिन विस्तार से नहीं बताया है। ये हमले सर-ए-पुल प्रांत में शनिवार और रविवार को हुए हैं। शिक्षा विभाग के प्रमुख मोहम्मद रहमानी ने कहा कि संगचरक जिले में करीब 80 छात्राओं को जहर दिया गया। उन्होंने कहा कि नसवान-ए-कबोद आब स्कूल में 60 छात्रों को जहर दिया गया है और नसवान-ए-फैजाबाद स्कूल में 17 अन्य को जहर दिया गया है।
आखिर कब तक वहां महिलाओं के साथ होते रहेंगे ज़ुल्म ?
मासूमों लड़कियों पर अत्यचार करते हुए इन शासकों को शर्म नहीं आती है। इन कट्टरपंथियों के हिसाब से इस्लाम में ऐसी सीख दी गई है? आखिर कब तक वहां महिलाओं के साथ ज़ुल्म होते जाएंगे? अफ़ग़ानिस्तान में यह घटनाएं हिजाब विवाद के बाद से तेज़ी से बढ़ रही है। कट्टरपंथी अपनी बंदूक के ज़ोर से शासन कर रहे हैं। आवाज़ उठाने पर महिलाओं की आवाज़ हलक़ में ही दफ़न कर दी जाती है।
और कितनी महसा अमीनी ?
आखिर इनसे सवाल है की इस्लाम में मासूमों को मार देने की सीख कब दी गई है? कट्टरपंथी नारा लगाए घुमते हैं की वह इस्लाम पर चल रहे हैं, इस्लाम को फेला रहे हैं। तो उनके लिए यह कहना बेहतर है की पहले वह खुद अच्छी तरह इस्लाम धर्म को पढ़ें ,अच्छी तरह पैग़म्बर की दी हुई सीख को लेकर ज़िन्दगी में चलें। इस्लाम का मतलब महिलाओं पर अत्याचार नहीं है। सारी दुनिया के मुसलमानो का सर झुक जाता है जब कोई कहता है की आपके इस्लाम में यह होता है। अरे ! होश सम्भालो तालिबानी कट्टरपंथियों और बंद करो यह अत्याचार। आखिर कब तक मासूम लड़कियां इनकी कट्टरता की भेंट चढ़ेंगी? आखिर और कितनी महसा अमीनी होंगी ?
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