जर्मनी (Germany) ने रूस से खतरे को देखते हुए इजरायल से एरो-3 एयर डिफेंस सिस्टम को खरीदने का ऐलान किया है। इस बाबत जर्मन रक्षा मंत्रालय, बजट कमेटी और जर्मन रक्षा समिति ने अपनी मंजूरी भी दे दी है। एरो-3 एयर डिफेंस (Arrow-3) सिस्टम को इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने विकसित किया है। यह इजरायल की मल्टी लेयर एयर डिफेंस सिस्टम का हिस्सा है, जो लंबी दूरी के हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करता है। इजरायल का दावा है कि एरो-3 परमाणु हमला करने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों को भी मार गिरा सकता है।
इतिहास में सबसे बड़ी रक्षा डील
जर्मनी(Germany) और इजरायल के बीच हुई इस डील की कीमत लगभग 4.3 बिलियन डॉलर है। भारतीय रुपये में यह राशि 35 हजार करोड़ से भी ज्यादा है। जर्मनी के साथ एरो-3 सौदे को इजरायल के इतिहास में सबसे बड़ी रक्षा बिक्री बताया जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, जर्मन बुंडेस्टैग और बजट समिति ने खरीद प्रक्रिया को शुरू करने के लिए 610 मिलियन डॉलर के अग्रिम भुगतान जारी करने पर सहमति व्यक्त की है।
जर्मनी को किस देश से हमले का खतरा?
जर्मनी (Germany) ने एरो-3 सिस्टम के अधिग्रहण का फैसला यूक्रेन में रूस के आक्रमण को देखते हुए किया है। जर्मनी चाहता है कि वह अपनी हवाई सुरक्षा को ज्यादा मजबूत करे, ताकि दुश्मन की बैलिस्टिक मिसाइल, ड्रोन और लड़ाकू विमानों को इंटरसेप्ट कर जरूरत पड़ने पर मार गिराया जा सके। पश्चिमी देशों में अमेरिका को छोड़कर किसी भी देश के पास मजबूत और भरोसेमंद एयर डिफेंस सिस्टम नहीं है। ऐसे में जर्मनी ने इजरायल के एरो-3 को चुना।
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एरो-3 जर्मन एयर डिफेंस से सबसे बाहरी क्षेत्र को संभालेगा। वहीं, मध्यम क्षेत्र की सुरक्षा अमेरिकी कंपनी रेथियॉन की बनाई गई पैट्रियट एयर डिफेंसऔर आईआरआईएस-टी सिस्टम के जिम्मे होगा। एरो-3 इंटरसेप्टर पृथ्वी के वायुमंडर से बाहर बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने में सक्षम है। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज ने देश की सुरक्षा के लिए 100 बिलियन यूरो का एक स्पेशल डिफेंस फंड का ऐलान किया था।