China: अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि अधिक दूरी तक की मारक क्षमता वाली तोपों और सैन्य वाहनों के सह उत्पादन के प्रस्तावों पर वह (अमेरिका) नई दिल्ली के साथ काम कर रहा है। भारत को चीन से लगी सीमा पर इन तोपों और सैन्य वाहनों की अभियानगत जरूरत है। भारत और चीन के सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ टकराव वाले स्थलों पर तीन साल से अधिक समय से तैनात हैं।
हिंद-प्रशांत सुरक्षा मामलों के सहायक रक्षा मंत्री ऐली रैटनर ने कहा कि यह (राष्ट्रपति जो) बाइडन प्रशासन द्वारा उठाये गये उन अभूतपूर्व कदमों का हिस्सा है, जो अमेरिका के सहयोगी देशों और साझेदारों को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूती प्रदान करेगा। उन्होंने चीन पर अमेरिकी संसद में होने वाली चर्चा से पहले अपनी टिप्पणी में यह कहा। यह चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब मानवाधिकारों, प्रौद्योगिकी तक पहुंच, दक्षिण चीन और पूर्वी चीन सागरों पर क्षेत्रीय संप्रभुता के दावों और स्वशासित ताइवान के खिलाफ धमकियों को लेकर विवाद के मद्देनजर अमेरिका और चीन के बीच संबंध प्रभावित हुए हैं।
बना रहा लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपें
उन्होंने कहा कि पेंटागन, हमला रोधी क्षमता हासिल करने में जापान की सहायता कर रहा है, आस्ट्रेलिया के हथियार और विस्फोटक आयुध उत्पादन की क्षमता बढ़ाने में में सहयोग करने के साथ ही बड़े रक्षा प्लेटफॉर्म के सह-विकास एवं सह-उत्पादन पर भारत के साथ एक नयी प्रौद्योगिकी पहल कर रहा है। साथ ही, चीन के बलप्रयोग और उत्पीड़न से निपटने की क्षमता हासिल करने में दक्षिण एशियाई देशों की वह मदद कर रहा है।
यह भी पढ़ें: अगर भारत-China आ गए क़रीब तो क्या होगा? किस देश का होगा सबसे ज़्यादा नुक्सान? जानिए क्या बोले विशेषज्ञ
रैटनर ने कहा, ‘हम अधिक दूरी तक मार करने वाली तोपों के सह उत्पादन के प्रस्ताव पर भारतीय समकक्षों के साथ काम कर रहे हैं।’ इसके अलावा, चीन से लगी भारत की सीमा पर इसकी अभियानगत जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से पैदल सैनिकों के लिए वाहनों के सह-उत्पादन के प्रस्ताव पर भी काम कर रहे हैं। भारत ने अमेरिका से एम-777 तोप खरीदा है जो काफी हल्की है और इसे चीन की सीमा पर तैनात किया गया है।