चीन (China) तो अब बर्बाद होकर रहेगा। यह कसम खायी है फ़िलीपीन्स ने। ड्रैगन की अब उलटी गिनती शुरू हो गई है। जब दो देश मिलकर एक देश के खिलाफ लड़ते हैं तो उस देश का बच पाना मुश्किल है। ऐसे ही दो ताक़तवर देश भारत और फ़िलीपीन्स चीन को धुल चाटने की तैय्यारी में लग गए हैं। चीन (China) को उसकी औक़ात दिखाने के लिए फ़िलीपीन्स ज़ोरो शोर से अपनी सैन्य ताक़त बढ़ाने में लगा हुआ है। यही कारण है कि फिलीपींस भारत की सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल और अमेरिका के हिमार्स (HIMARS) रॉकेट सिस्टम को और ज्यादा खरीदने पर विचार कर रहा है। ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज गति से उड़ने वाली सुपरसोनिक मिसाइल है। चीन के पास कोई ऐसा मिसाइल सिस्टम नहीं है, जो ब्रह्मोस को रोक सके। ठीक ऐसा ही हाल अमेरिका के हिमार्स रॉकेट सिस्टम का है। हिमार्स ने हाल में ही रूस-यूक्रेन युद्ध में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। हिमार्स ने कई जगहों पर रूसी एयर डिफेंस को तबाह करते हुए भीषण बमबारी की है।
भारतीय ब्रह्मोस और अमेरिकी हिमार्स को हासिल करने की योजना पर प्रकाश डाला
फिलीपींस सेना प्रमुख रोमियो ब्राउनर ने आर्मी आर्टिलरी रेजिमेंट की 125वीं वर्षगांठ समारोह में भारतीय ब्रह्मोस और अमेरिकी हिमार्स को हासिल करने की योजना पर प्रकाश डाला। ब्राउनर ने देश के सैन्य आधुनिकीकरण के प्रयास में फिलीपींस की सेना के योगदान का जिक्र किया। उन्होंने आर्टिलरी रेजीमेंट के भविष्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आने वाले दिनों में आप एक मजबूत, अधिक घातक आर्मी आर्टिलरी रेजिमेंट देखेंगे। फिलहाल फिलीपींस आर्मी आर्टिलरी रेजिमेंट की 10 आर्टिलरी बटालियनें ज्यादातर शीत युद्ध के दौर के हथियारों का इस्तेमाल कर रही हैं।
ड्रैगन का काल बनेंगे ये दो ब्रह्मास्त्र
फिलीपींस की आर्टिलरी रेजिमेंट के पास कोई एंटी एयरक्राफ्ट सिस्टम नहीं है। फिलीपींस की सेना को हवाई खतरों के खिलाफ ऑटोकैनन और मशीनगनों पर निर्भर रहना पड़ता है। दूसरे शब्दों में इंट्रीग्रेटेड एयर एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम का अभाव है। इन कमियों को पूरा करने के लिए ब्राउनर ने कहा कि जल्द ही हामरे पार एंटी शिप मिसाइलें होंगी, हमारे पास एयर डिफेंस गन होगी, हमारे पास अगले कुछ साल में हिमार्स भी आ जाएंगे। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि फिलीपींस जल्द ही भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक एंटी शिप क्रूज मिसाइल को खरीद सकता है।
फ़िलीपीन्स ज़ोरो शोर से अपनी सैन्य ताक़त बढ़ा रहा है
इसमें से पहले रेजिमेंट का ध्यान फिलीपींस द्वीपसमूह में आतंकवाद विरोधी अभियानों का समर्थन करना था। हालांकि, क्षेत्रीय तनाव और आधुनिक खतरों का ठीक से मुकाबला करने में आर्मी आर्टिलरी रेजिमेंट की अपर्याप्तता के बीच फिलीपींस ने क्षेत्रीय रक्षा मुद्रा की ओर बदलाव करना शुरू कर दिया है। इस कारण फिलीपींस की सेना को आधुनिक हथियार मिल रहे हैं। आर्टिलरी यूनिट को हाल में ही 12 ATMOS 2000 प्राप्त हुए थे, जो फिलीपींस सेना की पहली आटोमेटिक गन हैं। पिछले अभ्यासों में इन तोपों का नौसैनिक लक्ष्यों के किलाफ इस्तेमाल किया गया था, लेकिन ये आधुनिक युद्धपोतों के मुकाबले में अपर्याप्त हैं और इनकी संख्या सीमित है।
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