पाकिस्तान (Pakistan) आज इस मोड़ पर खड़ा है जहां से आगे गहरी खाई है और पीछे कुहां है और हालात उसने अपना खुद से ही किया हुआ है। कंगाली के हाल में पाकिस्तान दुनिया के सामने कटोरा लेकर खड़ा है। पाकिस्तान के ऊपर दूसरे देशों के इतने कर्ज हैं कि उसे पूरा करने में ही उसे कई वर्ष लग जाएंगे। इसके साथ ही अब देश में रोज की दैनिक जरूरतों को पूरा करने वाले सामानों तक की भारी कमी आ पड़ी है। मुल्क में न तो आटा है और न ही दाल, प्याज। लोग सड़कों पर उतर आए आये हैं। ऐसे में अब शहबाज सरकार को अक्ल आने लगी है कि, भारत से पंगा लेकर कितना बड़ा नुकसान उन्हें हुआ है। शहबाज भारत से दोस्ती के लिए उसके एक खास दोस्त को आगे कर बात करने के लिए कह रहे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत को कह रहे हैं।
दरअसल, पाकिस्तान में पहली बार खनिज शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। यह सम्मेलन जरूर पहली बार हो रहा है लेकिन इसमें प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने वही रटी-रटाई बात कही है। शहबाज ने भारत के साथ वार्ता की इच्छा लताई है। उन्होंने क्षेत्रीय विकास का हवाला देते हुए भारत से बात करने की इच्छा जाहिर की है। मगर विदेश मामलों के जानकारों ने उनके इस ऑफर को बस दिखावा करार दिया है। उनकी मानें तो पाकिस्तान की तरफ से हर बार इसी तरह के बयान दिए जाते हैं जिनका कोई नतीजा नहीं निकलता है।
विशेषज्ञ क्या सोचते हैं?
जानकारों की मानें तो पाकिस्तान की तरफ से पहले भी ऐसे बयान आए हैं। यह बयान सिर्फ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खुश करने और वैश्विक छवि बनाने के मकसद से दिए जाते हैं। आधिकारिक सूत्रों की मानें तो अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) और विश्व बैंक जैसे संगठनों का ध्यान आकर्षित करने के लिए भी भारत के साथ शांति वार्ता पर पाक पीएम ने टिप्पणियां की हैं। शहबाज ने शिखर सम्मेलन में कहा है कि पाकिस्तान ने पिछले 75 वर्षों में भारत के साथ तीन युद्ध लड़े हैं। इन युद्धों की वजह से मुल्क को सिर्फ गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा, खराब स्वास्थ्य व्यवस्था और संसाधनों की कमी झेलनी पड़ी है। शहबाज ने कहा, ‘हम हर किसी के साथ बात करने के लिए तैयार हैं, यहां तक कि अपने पड़ोसी के साथ भी। मगर शर्त बस यह है कि पड़ोसी मेज पर गंभीर मुद्दों पर बात करे क्योंकि युद्ध अब कोई विकल्प नहीं है।’
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भारत को समझना होगा
यही नहीं शहबाज एक तरफ तो वार्ता की बात कर रहे थे तो दूसरी तरफ वह यह याद दिलाना भी नहीं भूले कि पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति से लैस देश है। उन्होंने दावा किया कि इन हथियारों का मकसद अपने रक्षा उद्देश्यों को हासिल करना है। शहबाज की मानें तो भारत के साथ युद्ध से नहीं बल्कि क्षेत्र में आर्थिक प्रतिस्पर्धा से जवाब देने का समय है। उन्होंने कहा कि अगर कोई परमाणु हमला हुआ तो यह बताने के लिए कौन जीवित रहेगा कि क्या हुआ था? इसलिए युद्ध कोई विकल्प नहीं है।
ऐसी बात पहले भी कही
शहबाज ने इसी तरह का बयान इस साल की शुरुआत में दिया था। दुबई के अरेबिक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में शहबाज ने कहा था कि भारत के साथ तीन युद्धों के बाद पाकिस्तान ने सबक सीख लिया है और वह भारत के साथ शांति से रहना चाहता है।शरीफ ने कश्मीर जैसे कई और मुद्दों पर भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी से ईमानदारी के साथ वार्ता की अपील की थी। अगस्त 2019 में जब भारत ने जम्मू और कश्मीर की विशेष स्थिति को रद्द कर दिया था तब से ही पाकिस्तान के साथ बातचीत बंद है।