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काले धन में बढ़ोत्तरी के बीच पाकिस्तान भी चलेगा भारत की नोटबंदी की राह

वित्तीय संकटों के बावजूद फलती-फूलती पाकिस्तान के कालेधन की समानांतर अर्थव्यवस्था

demonetisation In Pakistan:कई आर्थिक चुनौतियों के बीच पाकिस्तान में भौतिक धन आपूर्ति में लगातार वृद्धि शहबाज़ शरीफ़ सरकार को परेशान करने लगी है। अतिरिक्त नक़दी प्रचलन ने इस समानांतर अर्थव्यवस्था के साथ-साथ मुद्रास्फीति को भी बढ़ावा दिया है।

जहां काले धन का मुद्दा चर्चा में है, वहीं सत्ता में मौजूद सरकारों द्वारा कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया है।

दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान के स्थानीय समाचार पत्र एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, “भारत द्वारा उच्च मूल्य वाले मुद्रा नोटों के विमुद्रीकरण का उदाहरण दिया गया था।” अख़बार ने कहा, “हालांकि इसने शुरुआत में अर्थव्यवस्था और दैनिक वेतन भोगियों के लिए चुनौतियां पेश कीं, लेकिन अंततः इसने आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए मुद्रास्फीति और ब्याज़ दरों को नियंत्रण में रखा।”

इस बात पर भी चर्चा हुई है कि क्या (पाकिस्तानी) 5,000 रुपये के नोटों को चरणबद्ध तरीक़े से बंद करने से नक़दी की जमाखोरी को रोकने में मदद मिलेगी। हालांकि, इस प्रस्ताव को अधिकारियों से बहुत कम समर्थन मिला है।

(पाकिस्तानी) 5,000 रुपये दक्षिण एशियाई राष्ट्र में सबसे अधिक मूल्यवर्ग का मुद्रा नोट है। अधिकांश रिपोर्टों में सुझाव दिया गया है कि उच्च मूल्य के मुद्रा नोट नक़दी जमा करने के लिए एक चालक हैं।

दक्षिण एशियाई राष्ट्र में आर्थिक संकट के बावजूद पिछले एक साल में नक़दी के चलन में काफी वृद्धि हुई है। पाकिस्तान में सिस्टम में पैसे के कुल मूल्य में भौतिक नक़दी का हिस्सा लगभग 29 प्रतिशत है।

पाकिस्तान की काली अर्थव्यवस्था लगभग 341.5 बिलियन डॉलर आंकी गयी है। मार्केट रिसर्च फ़र्म आईपीएसओएस के अनुसार, पाकिस्तान की छाया अर्थव्यवस्था का सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 40 प्रतिशत योगदान है। इसके अलावा, यह भी कहा गया कि पाकिस्तान की जीडीपी का 6 फ़ीसदी हर साल चोरी हो रहा है। दुर्भाग्य से इसका मतलब यह है कि धन का एक बड़ा हिस्सा बेहिसाब जा रहा है और सरकारी खातों में उस समय प्रतिबिंबित नहीं हो रहा है, जब पाकिस्तान एक संप्रभु डिफ़ॉल्ट को रोकने के लिए महीनों से संघर्ष कर रहा था। यदि यह पैसा आधिकारिक तौर पर प्रसारित किया गया होता, तो नक़दी की कमी वाले इस देश में बहुत फ़र्क़ पड़ता। इससे न केवल बीमार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को बेहतर बनाने में भी योगदान मिलता, क्योंकि इसका अधिकांश हिस्सा शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक लाभों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था।

अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र से जुड़े एक विश्लेषक ने बताया,“पाकिस्तान में भ्रष्टाचार की संस्कृति को पनपने दिया गया है और यह कोई रहस्य भी नहीं है। आज यह पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है। मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी बड़े पैमाने पर हैं और पिछले कुछ वर्षों में सरकारों ने इस समस्या से निपटने के लिए बहुत कम काम किया है।”

पाकिस्तान ऑब्जर्वर ने कहा है कि अवैध गतिविधियां बड़े पैमाने पर इसलिए हैं, क्योंकि व्यक्तियों और व्यवसायों को पता है कि “वे इससे बच सकते हैं।”

इस बीच जुलाई में पाकिस्तान की वार्षिक मुद्रास्फीति 28.3 प्रतिशत रही। फ़रवरी से मई के बीच महंगाई दर 30 फीसदी के पार थी।

कई लोगों को इस बात का डर है कि हाल ही में ईंधन की क़ीमतों में बढ़ोतरी के बाद मुद्रास्फीति एक बार फिर ऊपर की ओर बढ़ सकती है।

आर्थिक संकट की सबसे ज़्यादा मार आम नागरिकों पर पड़ी है। ऐसे में जब तक पाकिस्तान सिस्टम को साफ़ करने का ईमानदार प्रयास नहीं करता, देश की अर्थव्यवस्था ख़राब होती रहेगी।