नेपाल में चीन (china) के राजदूत चेन सोंग के भारत के खिलाफ दिए जहरीले बयान पर जहां नेपाल की जनता में भारी गुस्सा देखा जा रहा है, वहीं भारत ने भी बहुत सख्त प्रतिक्रिया दी है। काठमांडू में भारतीय दूतावास ने नेपाल के विदेश मंत्रालय से इस पूरे मामले को उठाया है और कार्रवाई के लिए कहा है। वहीं नेपाल के विदेश मंत्रालय को अब सूझ नहीं रहा है कि दोनों ताकतवर पड़ोसियों के बीच विवाद में वह किस तरह से जवाब दे। इस बीच नेपाल में विदेश नीति के जानकार चीन के राजदूत के बयान की तीखी आलोचना कर रहे हैं और वे प्रचंड सरकार से इस पूरे मामले को चीन से विरोध दर्ज कराने के लिए कह रहे हैं। नेपाल के विदेश मंत्री एनपी सौद का कहना है उनके मंत्रालय ने चीनी राजदूत के बयान को नोटिस में लिया गया है। नेपाल के कई राजनयिकों ने कहा है कि चीन के राजदूत ने राजनयिक मानकों का खुलकर उल्लंघन किया है। यही नहीं अपने बयान से चीनी राजदूत ने नेपाल के अंदर तीसरे देश भारत को लेकर अनावश्यक विवाद पैदा किया है।
नेपाल में चीनी राजदूत की कड़ी आलोचना
चीनी राजदूत ने नेपाल के भारत के साथ व्यापार की तुलना की जो नेपाली अधिकारियों के मुताबिक अनावश्यक था। सुबेदी ने कहा, ‘सवाल यह है कि अगर भारतीय राजदूत भी इसी तरह का बयान देते हैं तो हमारा जवाब क्या होगा। प्रचंड सरकार चीनी राजदूत के बयान पर उस समय चुप है जब चीन ने नेपाल के नए नक्शे को इस्तेमाल करने से भी मना कर दिया है।’ नेपाल के प्रधानमंत्री कार्यालय ने चीनी राजदूत के बयान को गैर राजनयिक करार दिया है। वहीं भारतीय विदेश नीति के जानकारों का कहना है कि चीन एक बार फिर से नई दिल्ली के पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते में हस्तक्षेप कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हो पाए हैं और इस वजह से बीजिंग दिल्ली के खिलाफ पड़ोस में तंज कस रहा है। चीनी राजदूत यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत नेपाल के विकास में बाधा है। साथ चीन चाहता है कि नेपाल उसके बीआरआई (BRI) में शामिल हो। इसको लेकर वह ज्ञान भी दे रहा है।
चीन नेपाल पर प्रभाव जमाना चाह रहा
नेपाल के डेनमार्क में पूर्व राजदूत विजय कांत कर्ण कहते हैं कि चीनी राजदूत ने नेपाल के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप करके राजनयिक सीमा रेखा को पार कर दिया है। इस बयान से चीन यह चाहता है कि नेपाल उसके हिसाब से अपनी विदेश नीति चलाए। चीन ने यह बयान ऐसे समय पर दिया है जब नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड बीजिंग के दौरे पर जाने वाले हैं। माना जा रहा है कि चीनी नेताओं से वह नए नक्शे का मुद्दा उठा सकते हैं। भारत के खिलाफ इस बयान से चीन ने नेपाल को फंसाने की भी कोशिश की है। वह भी तब जब भारत ने नेपाल के साथ नए बिजली समझौते को लागू किया है।