वस्तु एवं सेवाकर (GST) का आधार बढ़ाने के लिए अब संपत्ति कर और बिजली बिल डाटा का इस्तेमाल होगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के चेयरमैन विवेक जौहरी ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) के टैक्स बेस को बढ़ाने के लिए बिजली के मीटर और संपत्ति कर के डेटा का इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में जिस समय जीएसटी लागू किया गया था, उस समय टैक्स बेस 45 से 50 लाख के आसपास था, जो अब बढ़कर 1.4 करोड़ हो गया है। टैक्स बेस बिजली बिल और संपत्ति कर के जरिए टैक्स बेस बढ़ाने की गुंजाइश अधिक है। इसके लिए हम बिजली वितरण कंपनियों की मदद लेंगे और बिजली मीटरों का डेटा एकत्र करेंगे।
वित्त मंत्री ने भी बजट में किया है ऐलान
बता दें कि वित्त वर्ष 2023-24 के लिए एक फरवरी को लोकसभा में पेश बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि पैन (स्थायी खाता नंबर) को एक सामान्य व्यवसाय पहचानकर्ता माना जाएगा। इससे हमें मदद मिलेगी। हम बिजली वितरण कंपनियों से विवरण डेटा की मदद लेंगे। इसके साथ ही, हम संपत्ति कर डेटा का भी उपयोग करेंगे।
राजस्व वसूली बढ़ाने का लक्ष्य
सीबीआईसी के चेयरमैन विवेक जौहरी ने कहा कि जीएसटी को लेकर बोर्ड की रणनीति यह है कि राजस्व की वसूली करना उसका मुख्य लक्ष्य है। इसके साथ ही, टैक्स बेस बढ़ाना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि हम अन्य कर आधारों को देखते हैं, तो जीएसटी करदाताओं की संख्या बहुत ही कम है। हम इसे बहुत व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से बढ़ाना चाहते हैं, जिससे हम विश्लेषण का उपयोग करेंगे। सीबीआईसी (CBIC) के चेयरमैन विवेक चौधरी ने आगे कहा कि संपत्ति कर दो प्रकार के होते हैं।इनमें वाणिज्यिक और आवासीय संपत्ति कर शामिल हैं। अब अगर हम संपत्ति कर में व्यावसायिक संपत्तियों को देखें और खासकर देश के बड़े शहरों की व्यावसायिक संपत्तियों का मूल्यांकन करें, तब पता चलता है कि फलाने एड्रेस पर व्यावसायिक गतिविधियां की जा रही हैं।
ये भी पढ़े: ChatGPT क्या है जिसकी चर्चा बड़ी कंपनियों से लेकर किसानों तक हो रही है
नकदी सामान बेचकर रसीद न देना गलत
जौहरी ने कहा कि अगर वे डेटाबेस को धीरे-धीरे फिल्टर करके देखें, तो एक अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में हमारे संभावित करदाता कौन हैं, जो अभी तक जीएसटी के दायरे में शामिल नहीं किए गए हैं। बिजनेस टू कंज्यूमर (बी2सी) दुकानों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जिनकी रोजाना बिक्री लाखों में है, लेकिन वे रसीद नहीं दे हैं और नकद में कारोबार कर रहे हैं, ऐसे बी2सी व्यवसाय चिंता का विषय बना हुआ है।