भारत अब दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है, ऐसे समय में भारत जहां अपने जनसांख्यिकीय लाभांश पर सवार होने के लिए तैयार है, वहीं बढ़ती आबादी पर चीन की चिंताएं बढ़ रही हैं। जबकि कई कंपनियां अब कोविड के बाद के चरण में अपने आपूर्ति स्रोत में विविधता लाने के लिए आक्रामक रूप से रणनीति बना रही हैं, चीन में उन्हें सस्ते श्रम का जो लाभ मिला था, वह बढ़ती आबादी के कारण तेजी से ख़त्म हो रहा है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में कहा गया है, “इससे भारत के लिए वैश्विक विनिर्माण में बड़ी भूमिका निभाने का अवसर खुलता है। भारतीय उपभोक्ताओं की आय में वृद्धि से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए स्थानीय बाज़ार विकसित करने में भी मदद मिल सकती है, जिससे भारत में उत्पादन बढ़ाना और भी अधिक आसान हो जायेगा।”
गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रतिभा के बड़े समूह और कामकाजी उम्र की आबादी के कारण भारत 2075 तक अमेरिका, जर्मनी और जापान को पछाड़कर दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। गोल्डमैन सैक्स रिसर्च के भारत के अर्थशास्त्री शांतनु सेनगुप्ता के अनुसार, हालांकि, भारत को अपनी पूर्ण क्षमता हासिल करने के लिए अपनी श्रम शक्ति भागीदारी को बढ़ावा देना चाहिए। पहले कहा गया था कि चीन 2030 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका से आगे निकल जायेगा।
2022 में चीन की 3 प्रतिशत की तुलना में 2022-23 में भारत की अर्थव्यवस्था 7.2 प्रतिशत बढ़ी है।
Apple Inc के बॉस टिम कुक ने इस साल की शुरुआत में अपनी भारत यात्रा के दौरान दो रिटेल स्टोर- एक मुंबई में और एक नई दिल्ली में लॉन्च किए । कुक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की और भारत में और अधिक निवेश करने की इच्छा व्यक्त की।
बाद में एक अर्निंग कॉल के दौरान कुक ने लगभग 20 बार भारत का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, “भारत एक अविश्वसनीय रूप से रोमांचक बाज़ार है। यह हमारे लिए एक प्रमुख फ़ोकस है। देश एक निर्णायक मोड़ पर है। भारत में जीवंतता अविश्वसनीय रूप से भरी हुई है।”
भले ही चीन अगले कुछ वर्षों में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर हो, लेकिन उसकी चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं।
संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के अनुसार, भारत की औसत आयु 27.9 है, 2040 तक यह बढ़कर 34.6 वर्ष हो जायेगी ,जबकि चीन के लिए यह 48 वर्ष होगी। पिछले साल चीन की औसत आयु 38.5 थी। इससे पहले E&Y के एक शोध में कहा गया था कि भारत दुनिया में मानव संसाधनों का सबसे बड़ा प्रदाता बना रहेगा। इसमें कहा गया है कि अगले दशक में वृद्धिशील वैश्विक कार्यबल का लगभग 24.3 प्रतिशत भारत से आयेगा।
गोल्डमैन सैक के सेनगुप्ता ने कहा, “अगले दो दशकों में भारत का निर्भरता अनुपात क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम में से होगा।” उन्होंने कहा कि देश को विनिर्माण, सेवाओं और बुनियादी ढांचे जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को मज़बूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
ख़ासकर भारत में iPhone 14 का निर्माण शुरू करने के Apple के फैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2021 में लॉन्च किए गए मल्टी-ट्रिलियन पीएम गति शक्ति इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम ने भी कई वैश्विक निवेशकों का ध्यान आकर्षित किया है। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अब गति शक्ति की प्रगति पर बारीक़ी से नज़र रख रही हैं। सरकार ने आर्थिक विकास को पुनर्जीवित करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर दिया है।
विश्व बैंक के लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक में भारत को 38वें स्थान पर रखा गया है। चीन 19वें स्थान पर है, लेकिन वियतनाम 43वें और इंडोनेशिया 61वें स्थान पर है।
एससीएमपी के अनुसार, सकारात्मक बिजनेस मेट्रिक्स के साथ, “जब बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी ‘चीन+1’ विनिर्माण रणनीति पर विचार कर रही हैं, तो भारत ‘प्लस वन’ बनने के लिए कई दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक अच्छे स्थान पर पहुंच गया है।”
हालांकि, भारत को नीतिगत निर्णयों में स्थिरता बनाये रखनी होगी।