दुनिया के लगभग हर एक देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि हो चुकी है। कई देश ऐसे हैं जहां 250 रुपये प्रति लीटर के पार चला गया है। ये भारत ही है जहां पर महंगाई के इस दौर में भी सरकार ने हर चीजों के दामों पर लगाम कस रखा है। पाकिस्तान में तो पेट्रोल 230 रुपये से भी ज्यादा बिक रहा है। इसके साथ पश्चिमी देशों में भी तेल की कीमतों में भारी इजाफा हो चुका है। दरअसल, रूस और युद्ध के चलते कच्चे तेलों की कीमतों में वृद्धि के चलते तेल के भाव चढ़ गए। लेकिन, अब बहुत जल्द ही पेट्रोड-डीजल की कीमतों में भारी कटौती देखने को मिल सकती है।
दरअसल, कच्चे तेल की कीमतों में लगातार भारी गिरावट देखने को मिल रहा है। स्थिति ये है कि क्रूड ऑयल इस हप्ते 10 प्रतिशत के नुकसान के साथ बंद हुई है। कल ही यूके के केंद्रीय बैंक ने देश में साल के अंत तक मंदी की आशंका जताई है। वहीं, चीन में भी औद्योगिक गतिविधियां सुस्त हो रही हैं। जिससे कच्चे तेल की मांग पर असर पड़ने की आशंका है। अमेरिका में तेल के स्टॉक बढ़ने से भी इस आशंका को बल मिल रहा है कि, इसकी कीमतों में गिरावट आई है।
हालांकि, आज कच्चे तेल में हल्की बढ़त देखने को मिली है। लेकिन, इसके बाद भी ब्रेंट क्रूड 95 डॉलर प्रति बैरल से नीचे ही है। अब तक के कारोबार में ब्रेंट 93.6 से 94.57 के स्तर के बीच में रहा है। ब्रेंट क्रूड ने 95 डॉलर से नीचे का स्तर रूस यूक्रेन संकट के शुरू होने से पहले देखा था। वहीं दूसरी तरफ डब्लूटीआई क्रूड 90 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से नीचे आ गया है। बाजार के मुताबिक फिलहाल बाजार मांग में कमी से जूझ रहा है। दुनिया भर के केंद्रीय बैंक दरों में लगातार बढ़ोतरी कर रहे हैं जिससे आर्थिक ग्रोथ की रफ्तार सुस्त होने लगी है। अमेरिका में इस हफ्ते तेल के स्टॉक में अप्रत्याशित रूप में बढ़त देखने को मिली है जिससे संकेत हैं कि मांग में लगातार कमी आ रही है। क्रूड कीमतों में गिरावट का सबसे पहला असर तेल कंपनियों के नुकसान में कमी के रूप में होगा। तेल कंपनियां अभी भी हर लीटर की पेट्रोल और डीजल की बिक्री पर ऊंचा नुकसान उठा रही हैं। माना जा रहा है कि, मौजूदा स्थितियों को देखते हुए तेल में 3-5 रुपये तक की कटौती हो सकती है।