रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग का असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ने लगा है। इस वक्त कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगी है और आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दामों में फिर से बढ़ोतरी होते देखा जा सकता है। फिलहाल भारत में पिछले 4 महीने से तेल की कीमतों में स्थिरता का दौर जारी है और माना जा रहा है कि अगले हफ्ते यह दौर खत्म हो सकता है। खबरों की माने तो विधानसभा चुनाव खत्म होते ही पेट्रोल डीजल की कीमतें धीरे-धीरे बढ़नी शुरू हो जाएंगी।
एक रिपोर्ट की माने तो तेल कंपनियों (Oil Marketing Companies) को घाटा खत्म करने के लिये ईंधन की कीमतों में 9 रुपये प्रति लीटर की बढ़त करने की जरुरत है। यानि कीमतें इसी स्तर पर रहती हैं तो कंपनियां धीरे धीरे पेट्रोल की कीमत 9 रुपये प्रति लीटर बढ़ा सकती है। दरअसल, ब्रोकरेज कंपनी जे.पी. मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा है कि, अगले हफ्ते तक राज्यों के विधानसभा चुनाव समाप्त हो जाएंगे। अनुमान है कि इसके बाद ईंधन की दरें दैनिक आधार पर बढ़ सकती हैं। कच्चे तेल के दाम चढ़ने से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को पेट्रोल और डीजल पर 5.7 रुपये प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है।
रिपोर्ट के मुताबकि, तेल विपणन कंपनियों को सामान्य मार्केटिंग प्रॉफिट पाने के लिए खुदरा कीमतों में 9 रुपए प्रति लीटर या 10 प्रतिशत की वृद्धि करने की आवश्यकता है। घरेलू स्तर पर ईंधन की कीमतों में लगातार 118 दिन से कोई बदलाव नहीं किया गया है। बताते चलें कि, रूस से तेल की आपूर्ति में व्यवधान की आशंका से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल का दाम 2014 के बाद पहली बार 110 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक पहुंच गए। IEA के सदस्य देशों ने अपने स्ट्रेटजिक रिजर्व से 6 करोड़ बैरल तेल को जारी करने का फैसला लिया है। जो कि बाजार के अनुमानों से कम था इसी वजह से कीमतों में उछाल देखने को मिला है।
एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि, फिलहाल कुछ समय तक ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर ही बना रह सकता है। वहीं, पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के मुताबिक, भारत जो कच्चा तेल खरीदता है उसके दाम एक मार्च को 102 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गए।