विश्व बैंक ने अपने नवीनतम इंडिया डेवलपमेंट अपडेट में कहा है कि बाहरी जोखिमों के बावजूद भारत का विकास लचीला बना हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, जिसके कारण विकास में कमी आई है, भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है।
हालांकि, बहुपक्षीय ऋणदाता ने कम खपत और बाहरी जोखिमों के कारण नए वित्तीय वर्ष के लिए भारत के विकास अनुमानों को पहले के अनुमानित 6.6 प्रतिशत से घटाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है।
भारत में विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर अगस्टे तानो कौमे ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था बाहरी झटकों का सामना करने के लिहाज़ मज़बूत दिखायी देती है।” बाहरी दबावों के बावजूद, भारत के सेवा निर्यात में वृद्धि जारी है, और चालू खाता घाटा कम हो रहा है।”
जैसा कि भारत का लक्ष्य ख़ुद को वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना है, इसका एसएंडपी ग्लोबल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) पिछले महीने के 55.3 से बढ़कर तीन महीने के उच्च स्तर 56.4 पर पहुंच गया है, जिसने बाज़ार की 55.0 की उम्मीदों को भी पीछे छोड़ दिया है। लेकिन, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वैश्विक चार्ट पर भारत की पीएमआई रैंकिंग दूसरी सबसे ऊंची रही, पहली रैंक 58.7 के स्कोर के साथ सऊदी अरब की रही। भारत के वस्तु और सेवा कर संग्रह के अलावा मार्च के लिए खपत आधारित कर भी मार्च में 13 प्रतिशत बढ़कर 1.60 लाख करोड़ रुपये हो गया।
हाल ही में समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा था कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान देश की विकास दर 4.4 प्रतिशत दर्ज करने के बाद भारत विकास की हिंदू दर के “ख़तरनाक रूप से क़रीब” है।
दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जहां भारत की अर्थव्यवस्था 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ी, वहीं पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में यह 13.2 प्रतिशत बढ़ी।
विश्व बैंक का कहना है कि जब भारत की हेडलाइन मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है, तो ऐसे में वैश्विक कमोडिटी की क़ीमतों में कमी और घरेलू मांग में कुछ कमी के कारण चालू वित्त वर्ष में औसतन 5.2 प्रतिशत की गिरावट की उम्मीद है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने इसी तरह की बात दुहरायी है। फ़रवरी में जॉर्जीवा ने कहा कि भारत विश्व अर्थव्यवस्था में एक “उज्ज्वल स्थान” बना हुआ है। इतना ही नहीं, मूडीज़ एनालिटिक्स ने बताया है कि भारत की घरेलू अर्थव्यवस्था प्राथमिक विकास चालक है और पिछले साल के अंत में आर्थिक गतिविधियों में मंदी केवल अस्थायी ही रहेगी।
मार्च में प्रकाशित एक अन्य ING रिपोर्ट में भी इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इसलिए बढ़ती रहेगी, क्योंकि मुद्रास्फीति के दबाव कम होंगे, जिससे वास्तविक खर्च करने की शक्ति बढ़ेगी।
हालांकि, विशेषज्ञों ने सावधानी बरतने की बात कही है। एक उद्योग विश्लेषक ने कहा, “दुनिया एक अभूतपूर्व मंथन से गुजर रही है और भारत को हर समय सतर्क रहना चाहिए और अपने सुरक्षा पर पूरा ध्यान रखना चाहिए।” भारतीय रिज़र्व बैंक भी भारत की वृहद आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।