बॉलीवुड के बैड मैन यानी गुलशन ग्रोवर का आज अपना 66वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। गुलशन ग्रोवर का जन्म 21 सितंबर 1955 को दिल्ली में एक पंजाबी परिवार में हुआ। उन्होंने स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से मास्टर्स की। गुलशन काफी गरीब परिवार से थे। वो कॉलेज जाने के लिए पहले 9 किलोमीटर पैदल चलते और फिर बस स्टैंड से तीन बसें बदलकर कॉलेज पहुंचते। गुलशन को शुरु से एक्टिंग का शौक था। इस बारे में जब उन्होंने अपने पिता से भी बात की, तो उनके पिता ने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में किस्मत आजमाने के लिए सिर्फ 6 महीने का वक्त दिया।
यह भी पढ़ें- Sapna Choudhary का 'हरियाणवी घुसंड' पड़ते ही दोस्त को याद आई नानी, देखें वीडियो
मुंबई पहुंचकर उन्होंने फिल्मों में काम पाने के लिए कई ठोकरे खाई। जब काम नहीं मिला तो वो मुंबई से वापस दिल्ली आ गए। यहां उन्हें बैंक में नौकरी के ऑफर के साथ-साथ कॉलेज में प्रोफेसर की नौकरी भी मिल रही थी। लेकिन गुलशन का दिल एक्टिंग में करियर बनाने का था। उन्होंने फिर से मुंबई जाने की ठानी। पैसों की किल्लत थी, जिसके चलते उनकी मां को अपने गहने बेचने पड़े और पिता को घर भी गिरवी रखना पड़ा। वहीं गुलशन को गुजर-बसर करने के लिए डिटर्जेंट पाउडर तक बेचना पड़ा।
एक इंटरव्यू के दौरान गुलशन ने बताया कि 'मैंने अपने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखा। हर सुबह मैं अपने घर से दूर बड़ी बड़ी कोठियों में बर्तन और कपड़े धोने वाला डिटर्जेंट पाउडर बेचा करता था। मैं ये सब बेचकर पैसे कमाता था। उन कोठियों में रहने वाले मुझसे सामान खरीद लिया करते थे। मैं गरीबी से कभी घबराया नहीं इसकी वजह ये थी कि मेरे पिता ने हमेशा मुझे ईमानादारी से रहना सिखाया था। उन दिनों हमारे पास खाने के लिए पैसे नहीं थे और हमें कई दिनों तक भूखा रहना पड़ता था। मुंबई आने के बाद भी हालात काफी समय तक ऐसे ही थे लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी।'
गुलशन ग्रोवर पहली बार फिल्म 'हम पांच' में नजर आए थे। इस फिल्म में उन्होंने छोटा ही किरदार निभाया था। इसके अलावा वो 'बुलंदी', 'रॉकी', 'सदमा', 'अंदर बाहर' और 'वीराना' में नजर आए लेकिन उन्हें असली पहचान मिली थी फिल्म 'राम-लखन' से।
फिल्म 'राम लखन' में गुलशन ग्रोवर के किरदार का नाम बैड मैन था। एक इंटरव्यू में गुलशन ने बताया कि जब मैंने फिल्मों में एंट्री ली तो मुझे महसूस हुआ कि मैं एक स्टार बनना चाहता हूं। मैंने फिर खलनायक बनने का सोचा। उन्होंने कहा कि फिल्मों में खलनायक की जिंदगी लंबी होती है। उनकी लंबी उम्र, व्यक्तिगत घमंड उनके लुक्स पर नहीं बल्कि प्रदर्शन पर आधारित होता है। मुझे कुछ ऐसा ही करना था इसलिए मैंने ये रास्ता चुना।'