Hindi News

indianarrative

जोहा चावल खाइये, diabetes को बाय-बाय कहिए  

वैज्ञानिकों ने दावा है कि असम में मुख्य रूप से उगने वाला जोहा चावल मधुमेह को नियंत्रित करने में प्रभावी है (फ़ोटो: सौजन्य: foodwalas.com)

भारत में मधुमेह रोगियों के लिए अच्छी ख़बर है। वैज्ञानिकों का दावा है कि जोहा चावल, जिसकी खेती देश के पूर्वोत्तर हिस्सों में की जाती है, रक्त शर्करा को कम करने और मधुमेह की शुरुआत को रोकने में प्रभावी है। उन्होंने कहा कि चावल की भूसी का तेल, एक पेटेंट उत्पाद है, जो अनाज से बना होता है, और यह मधुमेह प्रबंधन में प्रभावी है।

जबकि यह व्यापक रूप से दावा किया गया था कि जोहा चावल मधुमेह और हृदय रोगों के प्रबंधन के लिए एक उपयुक्त और प्रभावी विकल्प है, इस दावे को वैज्ञानिक सत्यापन की आवश्यकता है। असम के गुवाहाटी स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ़ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चावल की इस क़िस्म का अध्ययन करके यही कहा है।

वैज्ञानिक राजलक्ष्मी देवी और परमिता चौधरी ने अपने शोध में जोहा चावल के न्यूट्रास्युटिकल गुणों या शारीरिक लाभ या पुरानी बीमारी के विरुद्ध इसकी सुरक्षात्मक विशेषताओं का पता लगाया।

शोधकर्ताओं ने विट्रो प्रयोगशाला विश्लेषण के माध्यम से पाया कि जोहा चावल में दो असंतृप्त फैटी एसिड थे। ये लिनोलिक एसिड (ओमेगा-6) और लिनोलेनिक (ओमेगा-3) एसिड हैं, जो मूल रूप से फैटी एसिड होते हैं, जिनका मानव शरीर उत्पादन नहीं कर सकता है और वे विभिन्न शारीरिक स्थितियों को बनाये रखने में बहुत सहायता करते हैं।

ओमेगा-3 फैटी एसिड कई चयापचय रोगों जैसे मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर से बचाता है।

प्रयोग के दौरान यह पाया गया कि जोहा रक्त शर्करा को कम करने और मधुमेह से ग्रस्त चूहों में मधुमेह की शुरुआत को रोकने में प्रभावी था।

आगे बढ़ते हुए, वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया कि व्यापक रूप से उपभोग की जाने वाली असुगंधित क़िस्म के चावल की तुलना में सुगंधित जोहा चावल में ओमेगा -6 से ओमेगा -3 का अनुपात अधिक संतुलित होता है।

इस चावल के कई अतिरिक्त फ़ायदे हैं। यह कई एंटीऑक्सीडेंट, फ्लेवोनोइड्स और फ़ेनोलिक्स से भरपूर है।

जोहा चावल की क़िस्म एक छोटे दाने वाला शीतकालीन धान है, जो अपनी विशिष्ट और महत्वपूर्ण सुगंध और लज़ीज़ और उत्कृष्ट स्वाद के लिए जाना जाता है। असम इस चावल का सबसे बड़ा उत्पादक है और गारो हिल्स में इसकी व्यापक रूप से खेती की जाती है।