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गुजरात में पारंपरिक चिकित्सा पर अपनी तरह का पहला वैश्विक शिखर सम्मेलन

आयुष वीज़ा श्रेणी की शुरुआत सरकार की 'हील इन इंडिया' पहल के लिए भारत के रोडमैप का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत को एक चिकित्सा मूल्य यात्रा गंतव्य के रूप में बढ़ावा देना है।

First Global Summit on Traditional Medicine: गुरुवार से गुजरात के गांधीनगर में आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन’ में 30 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की भागीदारी हो रही है ।

यह आयोजन अपनी तरह की सबसे बड़ी बैठकों में से एक होने की उम्मीद है, जिसमें 90 से अधिक देशों के प्रतिभागी, शिक्षा जगत के प्रतिष्ठित लोग, सरकारी प्रतिनिधि और पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र के महत्वपूर्ण दिग्गज एक साथ जुटे हुए हैं।

यह गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने और वैश्विक स्वास्थ्य और सतत विकास में प्रगति को आगे बढ़ाने में पारंपरिक, पूरक और एकीकृत चिकित्सा की भूमिका का पता लगायेगा।

आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा ने कहा, “G-20 पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर है। पिछले 9 वर्षों में भारत ने पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में आठ गुना विकास किया है। इस वर्ष के अंत तक देश भर में 12,500 से अधिक आयुष-आधारित स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र कार्यात्मक होंगे, जिनमें से 8,500 पहले से ही मौजूद हैं।”

सचिव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि गुजरात के जामनगर में पारंपरिक चिकित्सा पर वैश्विक केंद्र, जिसका उद्घाटन 2022 में किया गया था, किसी भी विकासशील देश में संयुक्त राष्ट्र की पहली और सबसे बड़ी पारंपरिक चिकित्सा समूह केंद्र है।

पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों पर कई प्लेटफार्मों पर कई दिशाओं में काम चल रहा है। मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल के साथ-साथ आयुष के क्षेत्र में कैंसर, टीबी, संचारी रोगों और महिला एवं बाल स्वास्थ्य जैसी बीमारियों से वैज्ञानिक दृष्टिकोण से निपटने के लिए साक्ष्य-आधारित अनुसंधान किया जा रहा है।

कोटेचा ने बताया कि आयुष वीजा भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों तक वैश्विक पहुंच की सुविधा प्रदान करेगा और व्यापक स्वास्थ्य देखभाल के एक नए युग की शुरुआत करेगा।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव लव अग्रवाल ने भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र और इसकी प्रगति के साथ-साथ इसके सामने आने वाली चुनौतियों और इसकी वर्तमान प्राथमिकताओं का एक सिंहावलोकन भी करवाया।

इस समय G-20 की अध्यक्षता भारत के पास होने के साथ-साथ उन्होंने स्वास्थ्य सेवा में देश की संभावना पर भी प्रकाश डाला और वैश्विक स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में इसके योगदान को अधिकतम करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।

अग्रवाल ने दुनिया के हित में भारत के योगदान की सराहना की और उन कई योग केंद्रों की ओर ध्यान दिलाया, जो दुनिया के दूर-दराज़ के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत का दृष्टिकोण आधुनिक और आयुष चिकित्सा के माध्यम से समग्र स्वास्थ्य देखभाल है।