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वडोदरा में भारी बारिश, सड़कों पर पानी भर जाने से सामने आये मगरमच्छ

चार फुट लंबे मगरमच्छ को डुमाड गांव के एक खेत से बचाया गया

हालांकि, सभी लोग मानसून का स्वागत करते हैं, लेकिन यह सामान्य जीवन में कुछ व्यवधान भी पैदा कर देता है। गुजरात के वडोदरा क्षेत्र में विश्वामित्री टाउनशिप के मामले में कुछ ऐसा ही हुआ है। भारी बारिश से मगरमच्छ सड़कों पर आ गये हैं।

ग़ैर-सरकारी संगठन वाइल्डलाइफ़ एसओएस ने गुजरात सोसाइटी फ़ॉर प्रिवेंशन ऑफ़ क्रुएल्टी टू एनिमल्स के साथ मिलकर एक ही रात में दो मगरमच्छों को बचाया। सरीसृपों को गुजरात वन विभाग को सौंप दिया गया है और जल्द ही उन्हें जंगल में छोड़ दिया जायेगा।

विश्वामित्री निवासी सड़क के बीच में एक मगरमच्छ को देखकर आश्चर्यचकित हो गये और अपनी और जीव की सुरक्षा के बारे में चिंतित होकर उन्होंने तुरंत अपने 24×7 बचाव हेल्पलाइन (+91 9825011117) पर वाइल्डलाइफ़ एसओएस को कॉल किया, जो एनजीओ जीएसपीसीए के साथ संचालित होता है।

टीम मौके पर पहुंची और देर रात के ऑपरेशन में किशोर मगरमच्छ को बचाया लिया गया और सुरक्षित निकाल लिया गया।

Vadodara juvenile crocodile

बचा लिया गया किशोर मगरमच्छ

उसी रात बचाव इकाई को डुमाड गांव से एक और फ़ोन आया,यह गांव शहर से 10 किलोमीटर दूर है। यहां ग्रामीणों ने खेत में 4 फुट लंबा मगरमच्छ देखा। इसके आकार से चिंतित होकर उन्होंने एनजीओ से संपर्क किया। वन्यजीव एसओएस-जीएसपीसीए रैपिड रिस्पांस यूनिट स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए मौक़े पर पहुंची और जानवर को बचाया।

तस्करों की उपस्थिति को लेकर बात करते हुए वाइल्डलाइफ़ एसओएस के परियोजना समन्वयक और जीएसपीसीए के अध्यक्ष, राज भावसार ने कहा: “मानसून के आगमन के साथ ही हमने पिछले 24 घंटों में वडोदरा शहर में भारी बारिश देखी है। बाढ़ के परिणामस्वरूप भूमि और जल निकाय दोनों ही डूब गये हैं। इससे मगरमच्छों को अपने निवास स्थान से बाहर जाना पड़ा और जैसे ही पानी कम हुआ, इसके सामने सूखा क्षेत्र था और मगरमच्छ ज़मीन पर फंसे रह गये।

वाइल्डलाइफ़ एसओएस के सीईओ कार्तिक सत्यनारायण के अनुसार, विश्वामित्री वडोदरा की प्रमुख नदी है और इसमें मगरमच्छ मगरमच्छों की संख्या घनत्व सबसे अधिक है। उनकी प्रमुख चिंताओं में से एक मानव-पशु संघर्ष से बचना है। उन्होंने  कहा,“भारी बारिश से अक्सर नदी में बाढ़ आ जाती है, जिससे मगरमच्छों को अपने प्राकृतिक घरों से बाहर निकलना पड़ता है। इसीलिए, गुजरात वन विभाग की मदद से हम लोगों को उन क्षेत्रों से बचने के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम और कार्यशालायें आयोजित करते हैं, जहाँ मगरमच्छ जा सकते हैं।”