यदि आप भी चाय की चुस्कियां लेने के काफी ज्यादा शौकीन हैं और ऑफिस से ब्रेक मिलते ही फटाफट किसी पटरी पर चाय पीने के लिए पहुंच जाते हैं तो अब आपको थोड़ा चौकस रहना पड़ेगा। क्योंकि अगर आप अपना ध्यान नहीं रखेंगे तो आप कैंसर जैसी घातक बीमारी का शिकार हो सकते हैं। जी हां, आपने बिलकुल सही सुना, क्योंकि ये दावा किसी स्टडी या किसी रिसर्च का नहीं है बल्कि यूपी एसटीएफ का है। दरअसल, एसटीएफ ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो नकली चायपत्ती बनाते थे। नकली चायपत्ती लोगों के लिए इतनी नुकसानदायक है कि इससे कैंसर और दूसरी गंभीर बीमारी हो सकती हैं। नकली चायपत्ती बेचने के लिए बड़ी चालाकी से इन लोगों ने रेहड़ी पटरी पर बेचने वाले चाय की दुकानों को चुना करते थे।
आप भी इन्हीं में से एक हैं जो रोजाना रेहड़ी-पटरी पर चाय पीते है तो अब से आपको अपना बहुत ध्यान रखने की जरूरत है, क्योंकि यूपी एसटीएफ ने एक ऐसे गिरोह को पकड़ा है जो नकली चायपत्ती रेहड़ी पटरी वालों को बेचते थे। एसटीएफ ने ऐसी चायपत्ती बनाने वाले तीन आरोपियों मोहम्मद जैद, दाऊद और तबरेज को गिरफ्तार किया है लेकिन आने वाले दिनों में यूपी एसटीएफ के निशाने पर कई अवैध चायपत्ती की फैक्ट्री हो सकती हैं।
किस तरह से चायपत्ती को करते हैं तैयार
यूपी एसटीएफ सीओ दीपक सिंह ने बताया कि यूपी एसटीएफ ने लखनऊ में एक अवैध चायपत्ती की फैक्ट्री पर रेड किया, तो कई चौकाने वाली चीजें सामने आईं। इस फैक्ट्री में चायपत्ती बनाने के लिए यूजड चायपत्ती, लकड़ी के मुरादे, केमिकल, केसरी, कुछ अच्छी क्वालिटी चायपत्ती के साथ में कुछ पौधों की पत्ती का इस्तेमाल कर नकली चायपत्ती बनाते थे। अधिकारियों को प्रथम द्रष्टया किस पौधों के पत्ती है? ये समझ नहीं आया लिहाजा पौधे के पत्ती को जांच के लिए लैब भेजे गए हैं।
रेड के दौरान मिली ये चीजें?
यूपी एसटीएफ की रेड के दौरान सारे 400 किलो से ज्यादा नकली चायपत्ती और 450 किलो तक केमिकल बरामद हुए हैं। यूपी एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक, इस चायपत्ती से आम लोगों को कैंसर लीवर की गंभीर बीमारी हो सकती है। ये एक बड़ी साजिश है और इनका जांच का दायरा लखनऊ और आसपास के जिले में लगातार बढ़ रहा है। यूपी एसटीएफ को एक ऐसी चेन भी मिली है, जो रेहड़ी पटरी वालों को चायपत्ती की सप्लाई करती थी।आरोपी रेहड़ी पटरी वालों को ही इस तरीके की अवैध चायपत्ती बेचने के लिए चुनते थे, क्योंकि इन दुकानों पर सुबह नकली चायपत्ती देते थे और शाम तक पूरी चाय पत्ती की खपत हो जाती थी। अगर यह चाय पत्ती 1 सप्ताह पुरानी हो जाए तो इसमें कीड़े लगने लगते थे और अजीब किस्म की बदबू आने लगती थी जिसकी वजह से घरों या दुकानों पर बेचने के लिए इनके सेल्समैन टारगेट नहीं करते थे।