पीरियड्स(Periods) या मासिक धर्म के दौरान पैड का इस्तेमाल करना आम बात है। भारत में ज़्यादातर महिलाएं सेनेटरी पैड का ही इस्तेमाल करती है। बिना यह जाने के इसका इस्तेमाल उनके स्वास्थय के लिए कितना खतरनाक है। एक स्टडी के मुताबिक़, पैड में सबसे ज़्यादा संक्रमण होता है।लेकिन अब कुछ महिलाओं ने मेंस्ट्रल कप ट्राई किए हैं, तो उन्होंने बताया है कि मेसेंट्रल कप पैड से बेहतर हैं।पैड बनाने में काफी केमिकल का इस्तेमाल होता है। जिसके कारण इसका इस्तेमाल काफी हानिकारक साबित हो सकता है।
सैनिटरी पैड के उपयोग के यह कुछ स्पष्ट नुकसान हैं
इन्हें ज्यादा देर तक पहनने से जलन होती है।
बार-बार पैड न बदलने से भी त्वचा में जलन हो सकती है।
साथ ही इनमें मौजूद केमिकल के कारण अगर इन्हें 4 से 5 घंटे के भीतर नहीं बदला जाता है तो इनमें दुर्गंध आ सकती है।
केसा है टैम्पोन, सैनिटरी पैड या मेंस्ट्रल कप का इस्तेमाल?
इस श्रेणी में अन्य नए उत्पाद टैम्पोन और मेंस्ट्रल कप हैं, यह दोनों धीरे-धीरे अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं, विशेष रूप से इन दिनों अधिक से अधिक महिलाएं शारीरिक गतिविधियों में शामिल हो रही हैं।भारत में भी कई महिलाएं मेंस्ट्रल कप का इस्तेमाल कर रही हैं। मेंस्ट्रल कप एक कीप की शकल का होता है। शुरुआत में इसको लगाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। 16वें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, भारत में 15-24 आयु वर्ग की 64% महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का उपयोग करती हैं, 49.6% कपड़े के नैपकिन का उपयोग करती हैं, 15% स्थानीय रूप से बने नैपकिन का उपयोग करती हैं और केवल 03 प्रतिशत मासिक धर्म कप यानी मासिक धर्म कप का उपयोग करती हैं।
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मीनाक्षी एक कॉलेज जाने वाली लड़की है जिसे कॉलेज जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। उससे बात करने पर पता चला कि मासिक धर्म के दौरान जब वह पैड पहनती थी तो उसे काफी रैशेस का सामना करना पड़ता था। जिससे वह काफी परेशान रहती थी। फिर उसने मेंस्ट्रल कप का इस्तेमाल किया। उन्होंने बताया कि अब वह इसे स्विमिंग के लिए भी पहन सकती हैं। उन्होंने बताया कि पहली बार में यह थोड़ा मुश्किल था, लेकिन अब उन्हें इसकी आदत हो गई है।
यदि हम अपनी महिलाओं और लड़कियों में मासिक धर्म से संबंधित इन उत्पादों के बारे में उचित जागरूकता पैदा करें तो संक्रमण जैसी कई समस्याओं को रोका जा सकता है जिससे एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है।