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चन्नी को हराकर MLA बना बेटा, फिर भी सफाईकर्मी की नौकरी नहीं छोड़ना चाहती लाभ सिंह की मां, जानें क्यों?

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पंजाब के भदौर से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी लाभ सिंह उगोके ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चंन्नी को हैरतंगेज सियासी शिकस्त दी। बेहद गरीब घर से ताल्लुक रखने वाले  35 साल के लाभ सिंह उगोके ने सीएम चन्नी को 37500 मतों से हराकर इतिहास रच दिया। लाभ सिंह ने प्लंबर का कोर्स किया है और वो मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान चलाते हैं। वो 2013 में आम आदमी पार्टी से जुड़ गए थे। इनके पिता दर्शन सिंह ड्राइवर हैं और मां बलदेव सिंह सफाई कर्मी। उनकी मां बेटे की जीत से बहुत खुश हैं और अब वह जीवनभर झाड़ू नहीं छोड़ना चाहतीं।

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उगोके गांव के सरकारी स्कूल में सफाई कर्मी बलदेव कौर ने कहा कि सभी ने सोचा कि मैं अपने बेटे की जीत के कम से कम एक दिन बाद काम पर नहीं आऊंगी। लेकिन मैंने साफ कर दिया कि मेरा बेटा विधायक बना है, मैं नहीं। मैं अभी भी एक संविदा सफाई कर्मचारी हूं। मुझे अपनी नौकरी क्यों छोड़नी चाहिए?' उन्होंने आगे कहा कि जब घर चलाना मजबूरी थी तो झाड़ू हमारे साथ था और अब जब झाड़ू ने हमारे बेटे के विधानसभा चुनाव जीताकर पहचान दिलाई है, तो यह हमारे जीवन का हिस्सा रहेगा।' बलदेव कौर ने कहा- 'मुझे बेहद खुशी है कि मेरे बेटे ने यह जीत हासिल की है, वह भी मौजूदा मुख्यमंत्री को हराकर लेकिन मैं अपने कर्तव्य का निर्वहन करती रहूंगी। मेरे लिए, यह जीवन का एक तरीका है। नौकरी की कमाई मेरा घर चलता है।

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उनकी चुनावी जीत से परिवार खुश है लेकिन वह हवा में नहीं उड़ना चाहते। परिवार में रोज जैसे सामान्य हालात ही हैं। बेटा विधायक दल की बैठक में भाग लेने के लिए मोहाली गया तो मां रोज की तरह झाड़ू लेकर ड्यूटी पर पहुंचीं। उन्होंने हमेशा की तरह स्कूल की कक्षाओं और खेल के मैदान की सफाई की। लाभ सिंह ने इस धारणा को खारिज कर दिया कि राजनीति केवल अमीरों और दिग्गजों के लिए है। भदौड़ से आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा मैदान में उतारे जाने से पहले, 35 वर्षीय लाभ सिंह अपने पैतृक गांव उगोके में एक छोटी मोबाइल मरम्मत की दुकान चलाते थे। उनकी पत्नी वीरपाल कौर सिलाई का काम करती हैं और उनके पिता दर्शन सिंह एक कैजुअल वर्कर और पार्ट-टाइम ट्रैक्टर ड्राइवर हैं।