इसमें कोई दो राय नहीं है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद विकास तेजी से हुआ है। हर एक क्षेत्र में तेसी से काम हुआ है, चाहे सड़क मार्ग हो, रेलवे मार्ग हो, आईटी सेक्टर हो, रेल मार्ग हो या फिर क्यों न देश का डिफेंस हो। हर किसी को मजबूती मिली है। जिसके देखर विपक्ष बौखलाई हुई है और झूठ बोलकर राजनीति कर रही है। सरकार के सही नीतियों के खिलाफ झूठ फैला कर लोगों को बरगला रही है। अब विपक्षी दल इतने बेशर्म हो गए हैं कि अग्निपथ योजना में जाति और धर्म पूछे जाने पर राजनीति कर रहे हैं। इसपर सेना को आकर जवाब देना पड़ा है कि, यह कोई नया नहीं है। शुरुआत से ही पूछा जाता आ रहा है।
अग्निपथ भर्ती योजना में उम्मीदवारों से जाति और रिलिजन सर्टिफिकेट मांगे जाने पर सेना ने अधिकारियों का कहना है कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। आवश्यक होने पर उम्मीदवारों से जाति और धर्म प्रमाण पत्र पहले भी जमा कराया जाता रहा है। सेना का कहना है कि ट्रेनिंग के दौरान मरने वाले रंगरूटों और सर्विस में शहीद होने वाले सैनिकों का धार्मिक अनुष्ठानों के तहत अंतिम संस्कार किया जाता है। ऐसे में उनके धर्म की जानकारी की जरूरत पड़ती है।
विपक्ष अग्निपथ योजना में उम्मीदवारों से जाति और धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने पर सवाल उठाए हैं। राजद नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को ट्वीट करके कहा, जात न पूछो साधु की, लेकिन जात पूछो फौजी की। संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है। ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन RSS बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा। ऐसा लग रहा है कि, लालू यादव के सरकार में पूर बिहार में सिर्फ नाम पर नौकरियां दी जाती थी। ऐसे में तो फिर आरक्षण का भी मामला यहीं रफा दफा कर देना चाहिए। किसी को किसी तरह का कोई भी आरक्षण नहीं देना चाहिए। विपक्ष के पास मुद्दा कुछ है नहीं तो ऐसे में वो सेना को लेकर ही सवाल खड़ा रही है। ये वही विपक्ष है जो सर्जिकल स्ट्राइक पर भी सवाल उठा चुकी है।
तेजस्वी यादव ने एक अन्य ट्वीट में कहा, "आजादी के बाद 75वर्षों तक सेना में ठेके पर अग्निपथ व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75%सैनिकों की छंटनी नहीं होती थी, लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75%सैनिकों की छंटनी करेगी। सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत?"
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने दावा किया कि देश के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। उन्होंने ट्वीट करके कहा, मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के काबिल नहीं मानते? भारत के इतिहास में पहली बार सेना भर्ती में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको अग्निवीर बनाना है या जातिवीर। विपक्ष फिलहाल अग्निवीर को लेकर बौखलाई हुआ है। पहले तो झूठ फैला कर युवाओं को गुमराह किया जब फिर भी दाल नहीं गली तो। अब ऐसी चीजों को उछाल रही है जिसका कोई तुक ही नहीं है। अब धर्म और जाती पर इनकी राजनीति शुरू हो गई है।