Chandrayaan-3: भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जो चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी धमक पहुंचाई है। इसके सफलता के बाद जहां पूरा देश झूम रहा है। वहीं, पिछली दफा भारत को भला बुरा कहने वाले वो पाकिस्तान के पूर्व मंत्री फवाद हुसैन हों या फिर बीबीसी की एंकर सभी को ISRO के वैज्ञानिकों ने करारा जवाब दिया है। इसी सिलसिले में उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने अंग्रेजों को ऐसी सुनाई ,जिसे सुन हर हिन्दुस्तानी का सीना गर्व से फुल जाएगा।
Chandrayaan-3 का लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतर गया है। इसके साथ ही भारत को पूरी दुनिया से बधाइयां मिल रही हैं। चन्द्रयान-3 की सफलता के बाद बीबीसी का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
“अंग्रेजों ने भारत में संसाधनों की लूट कई दशकों तक की”
वायरल हो रहे इस पुराने वीडियो में स्टूडियो में बैठा बीबीसी का एंकर भारत के मून मिशन का मजाक उड़ा रहा है। जिसपर दिग्गज उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने इस वीडियो पर मजेदार ट्वीट (Anand Mahindra Tweet) किया है। उन्होंने कहा कि भारत की गरीबी के लिए काफी हद तक अंग्रेजी हुकूमत जिम्मेदार है जिसने कई दशकों तक भारत में संसाधनों को लूटा।
अंग्रेजों की ओछी मानसिकता
दरअसल, वीडियो में बीबीसी एंकर भारत में मौजूद अपने संवाददाता से पूछ रहा है कि भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर की भारी कमी है, भीषण गरीबी है, 70 करोड़ लोगों के पास टॉयलेट नहीं है, क्या ऐसे देश को मून मिशन पर इतना पैसा खर्च करना चाहिए।
बीबीसी का यह पुराना वीडियो वायरल हो रहा है।
आगे आनंद महिंद्रा ने कहा कि अंग्रेजी हुकूमत का सबसे कपटी लक्ष्य अपने गुलामों को उनके कमतर होने का अहसास कराना था। यही कारण है कि टॉयलेट और स्पेस एक्सप्लोरेशन दोनों में निवेश करना एक विरोधाभास नहीं है। सर, चंद्र मिशन से हमें अपना गौरव और आत्मविश्वास बहाल करने में मदद मिलती है। यह विज्ञान के माध्यम से प्रगति में विश्वास पैदा करता है। यह हमें गरीबी से बाहर निकलने की आकांक्षा देता है। सबसे बड़ी गरीबी आकांक्षा की कमी होती है।
Really?? The truth is that, in large part, our poverty was a result of decades of colonial rule which systematically plundered the wealth of an entire subcontinent. Yet the most valuable possession we were robbed of was not the Kohinoor Diamond but our pride & belief in our own… https://t.co/KQP40cklQZ
— anand mahindra (@anandmahindra) August 24, 2023
चंद्रयान-3 मिशन पर आए कुल खर्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मुताबिक चंद्रयान-3 मिशन पर आए कुल खर्च 615 करोड़ रुपये का आया है। चंद्रयान-3(Chandrayaan-3) के लैंडर विक्रम, रोवर प्रज्ञान और प्रपल्शन मॉड्यूल को तैयार करने की कुल लागत 250 करोड़ रुपये है। साथ ही इसके लॉन्च पर 365 करोड़ रुपये खर्च हुए।
चन्द्रयान-2 से 30 प्रतिशत कम लागत से सफल हुआ चन्द्रयान-3
वहीं, ISRO ने बताया कि चंद्रयान-2 की तुलना में चन्द्रयान-3 पर आए कुल खर्च का करीब 30 फीसदी कम है। 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 की कुछ खर्च 386 करोड़ रुपये था। इसी तरह 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 पर कुल खर्च 978 करोड़ रुपये का खर्च आया था। यानी तीनों मिशन पर इसरो का कुल खर्च 1,979 करोड़ रुपये रहा है।
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अन्य देशों के मिशन में खर्च ज्यादा पर सफलता सिर्फ भारत को
बता दें कि भारत की तुलना में देखा जाए तो चन्द्र मिशन में लगे अन्य देशों के खर्च भारत से कहीं ज्यादा है। अमेरिका (NASA) अपने लूनर मिशन साल 1960 में शुरु किया था,तब उसके मिशन पर कुल 25.8 अरब डॉलर खर्च किया था। अगर आज के हिसाब के देखें तो यह 178 अरब डॉलर बैठता है। और इसे रुपए के हिसाब से देखें तो वो करीब 14 लाख करोड़ रुपए आती है। यानी इसरो के मुकाबले नासा के मून मिशन का खर्च करीब 3,000 गुना ज्यादा था। वहीं, रूस 1976 के बाद हाल में चांद पर अपना मिशन भेजा था। उसके लूना-25 का बजट करीब 1,600 करोड़ रुपये था। हालांकि रूस का यह मिशन लूना-25 चांद की सतह पर क्रैश हो गया।