Defence Report: चीन और पाकिस्तान उन देशों में हैं जो अपनी हरकतों से कभी भी बाज नहीं आ सकते हैं। रक्षा मंत्रालय ने चीन और पाकिस्तान दोनों की मिलीभगत से खतरा बताया है। साथ ही उन्होंने कहा दोनों की किसी भी चालबाजी या उकसावे की कार्रवाई का भारतीय सैन्य बल मुंह तोड़ जवाब देंगे। रक्षा मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय सेना दुश्मन की आक्रामक कार्रवाई से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। रिपोर्ट ऐसे वक्त आई है, जब कुछ दिन पहले 9 दिसंबर को ही तवांग में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष हो चुका है। वहीं रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) की शनिवार को जारी की गई रिपोर्ट में लद्दाख में चीन के उकसावे के बारे में लिखा गया है। इसमें कहा गया है कि वहां तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी है और आगे भी चलने वाली है।
सेना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उभरते खतरों की लगातार निगरानी और समीक्षा करती है। रक्षा मंत्रालय ने सालाना समीक्षा में बताया है कि एलओसी पर बीते साल फरवरी से भारत-पाकिस्तान की सेनाओं के बीच संघर्ष विराम की समझ के साथ स्थिति अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण रही। रक्षा मंत्रालय ने कहा, पाकिस्तान ने छद्म युद्ध बुनियादी ढांचे को बरकरार रखा है। सक्रिय आतंकी ट्रेनिंग कैंप, लॉन्च पैड्स में आतंकियों की मौजूदगी और लगातार घुसपैठ के प्रयास पड़ाेसी देश की नापाक मंशा को साबित करते हैं। यही नहीं, पाकिस्तान नशीले पदार्थो की तस्करी को भी प्रमोट करके देश के युवाओं को गुमराह करने की हरकतें करता रहा है।
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मिसाइलों से और ताकतवर हुई सेना
रक्षा मंत्रालय ने रिपोर्ट में कहा कि मिसाइलों के लगातार परीक्षण और उनकी मारक क्षमता बढ़ाने के प्रयासों को काफी सफलता मिली है। ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित रेंज संस्करण के सफल परीक्षण, पृथ्वी-द्वितीय मिसाइल, अग्नि-4 और अग्नि-3 मिसाइलों के प्रक्षेपण से सेना और ताकतवर हुई है। समीक्षा में पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल आईएनएस अरिहंत के साथ स्वदेशी एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल ‘हेलिना’ के सफल परीक्षण का भी जिक्र है।
सेना दुश्मनों से निपटने के लिए तैयार
रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि सेना ने लगातार उग्रवाद-विरोधी और आतंकवाद-रोधी अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है। इसमें कहा गया है कि भारतीय सेना सैन्य आधुनिकीकरण के साथ-साथ विरोधियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहती है। सेना ने साइबर, अंतरिक्ष और सूचना क्षेत्र में उभरते खतरों से निपटने के लिए क्षमता का निर्माण किया है।