दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में शराब आबकारी नीति के कार्यान्वयन में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित सीबीआई के एक मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की ज़मानत याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने सिसोदिया को ज़मानत देने से इनकार करते हुए कहा कि आवेदक (सिसोदिया) के शक्तिशाली व्यक्ति होने के कारण उनके गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है।
दलीलों के दौरान सीबीआई ने मनीष सिसोदिया द्वारा दायर ज़मानत याचिका का विरोध किया था और कहा था, “आवेदक (सिसोदिया) का कार्यपालिका, अफ़सरों और नौकरशाहों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं और उनका प्रभाव और दबदबा है। उच्च पद पर आसीन उनके पार्टी के सहयोगी जांच को प्रभावित करने के लिए तथ्यात्मक रूप से गलत दावे करना जारी रखते हैं और आवेदक के राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार होने का भी दावा करते हैं।
प्रेस कांफ़्रेंस के दौरान इस राजनीतिक नेता(ओं) के उक्त बयानों पर ध्यान दिए जाने से पता चलता है कि कैसे न केवल आवेदक बल्कि उनकी पार्टी के सहयोगियों के पूरे प्रयास अभियुक्तों को बचाने को लेकर हैं, अपने जवाब में सीबीआई ने सिसोदिया की ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए कहा।
सिसोदिया को सीबीआई ने 26 फ़रवरी, 2023 को गिरफ़्तार किया था और इस समय वह न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 31 मार्च, 2023 को उनकी ज़मानत याचिका दायर की थी।
सीबीआई के अनुसार, सिसोदिया ने आपराधिक साज़िश में सबसे महत्वपूर्ण और अहम भूमिका निभायी थी और वह उक्त साज़िश के उद्देश्यों की प्राप्ति को सुनिश्चित करने के लिए उक्त नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में गहराई से शामिल भी थे।
सीबीआई ने कहा, “क़रीब 90-100 करोड़ रुपये की अग्रिम रिश्वत का भुगतान उनके और जीएनसीटीडी में उनके अन्य सहयोगियों के लिए किया गया था और उपरोक्त में से 20-30 करोड़ रुपये सह-आरोपी विजय नायर, अभिषेक बोइनपल्ली और अनुमोदक दिनेश अरोड़ा के माध्यम से किए गए पाए गए हैं और बदले में आबकारी नीति के कुछ प्रावधानों को दक्षिण शराब लॉबी के हितों की रक्षा और संरक्षण देने और उक्त लॉबी को किकबैक का पुनर्भुगतान सुनिश्चित करने के लिए आवेदक द्वारा छेड़छाड़ और हेरफेर करने की अनुमति दी गयी थी।