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CJI एन वी रमण ने प्रधानमंत्री Narendra Modi से कही बड़ी बात, बोलें- कई बार कोर्ट के फैसले के बाद भी…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने CJI एन वी रमण ने कही बड़ी बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चीफ जस्टिस एन. वी. रमण ने कई सारी बड़ी बाते कही हैं। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पीएम मोदी से सरकारों के रवैये पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि, कई बार कोर्ट के फैसले के बाद भी सरकारें जानबूझकर अमल नहीं करती हैं, यह लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है। इसके आगे उन्होंने कहा कि, संविधान देश के तीनों अंगों के बीच शक्तियों के विभाजन का प्रावधान करता है और अपने कर्तव्य का पालन करते समय लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखा जाना चाहिए।

CJI ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में कहा कि न्यायिक निर्देशों के बावजूद सरकारों की ओर से जानबूझकर निष्क्रियता दिखाना लोकतंत्र की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संयुक्त सम्मेलन का उद्घाटन किया। महत्वहीन याचिकाओं की बढ़ती संख्या चिंता का विषय है। आजकल, जनहित याचिका उन लोगों के लिए एक औजार बन गई है, जो राजनीतिक मामलों या कॉरपोरेट प्रतिद्वंद्विता को सुलझाना चाहते हैं। CJI एन वी रमण ने कहा कि, देशभर में 4 करोड़ 11 लाख केस पेंडिंग हैं। इन पेंडिंग केसों में सरकार सबसे बड़ी पक्षकार है। 50 फीसदी पेंडिंग केसों में सरकार ही पक्षकार है। अदालत के फैसले पर अमल नहीं हो पा रहा है जो चिंताजनक है।

इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साफ तौर पर कहा कि, सरकार के रवैये के कारण कई बार फैसले पर अमल नहीं होता है। यह सब लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। भारत में 10 लाख लोगों पर सिर्फ 20 जज हैं। उन्होंने कहा कि, वैकेंसी और पेंडेंसी कम करने के लिए सरकार को जजों की नियुक्ति करने की जरूरत है। इसके आगे उन्होंने बताया कि, संविधान तीनों अंगों के बीच शक्तियों के पृथक्करण का प्रावधान करता है और इनके बीच सामंजस्य से लोकतंत्र मजबूत होगा। अपने कर्तव्य का निर्वहन करते समय हमें लक्ष्मण रेखा का ध्यान रखना चाहिए।

इसके साथ ही उन्होंने जनहित याचिकाओं के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, अब यह निजी हित याचिका बन गई है और निजी मामलों में निपटाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। जनहित याचिका की अवधारणा अब निजी हित याचिका में बदल गई है और कभी-कभी परियजनाओं को रोकने या सार्वजनिक प्राधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी चेताया कि, कानून और संविधान का पालन करना सुशासन की कुंजी है।