Zoravar Tank: चीन की भारत के साथ सीमा पर विवाद 2020 के बाद से लगातार बना हुआ है। चीन लगातार सीमा पर नियमों को उल्लंघन करता आ रहा है। अब चीन की चालाकी नहीं चलेगी। क्योंकि, जोरावर (Zoravar Tank) की मदद से भारतीय सेना चीन के छक्के छुड़ा देगी। जोरावर की खबर सुनते ही राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ब्लड प्रेशर बढ़ गया होगा। क्योंकि, जोरावर वो टैंक (Zoravar Tank) है जो बेहद ही हल्का लेकिन मजबूत इतनी की इसके आगे कोई भी न टिक पाए। मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस ये टैंक अब भारतीय सेना खरीदने जा रही है। ये हजारों किलोमीटर की ऊंचाई पर दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों सहित हर जगह और सभी मौसम में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दे सकता है।
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चीन के साथ उत्तरी सीमा पर सैन्य गतिरोध, भविष्य की चुनौतियों और लड़ाईयों को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। दरअसल, चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में 2 साल से भी अधिक समय से चले आ रहे सैन्य गतिरोध के दौरान सेना ने मौजूदा टैंकों के साथ चीन को करारा जवाब दिया। हालांकि, उसे ऐसे हल्के लेकिन मजबूत और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस टैंक की कमी बहुत अधिक खली जिसे ऊंचाई वाले दुर्गम क्षेत्रों में आसानी से ले जाकर तुरंत तैनात किया जा सके। हालांकि, चीन भी इस तरह के हल्के टैंकों से लैस है जो पहाड़ों पर आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं। इसी कमी को दूर करने के लिए सेना ने ये कदम उठाया है।
चीन और पाकिस्तान के दो मोर्चों से एक साथ उत्पन्न होने वाली चुनौती, भविष्य के खतरों, दुनिया भर में अलग-अलग जगहों पर चल रहे सैन्य संघर्षों का सेना बारिकी से अध्ययन कर रही है। इससे मिली सीख के आधार पर सेना भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों और खतरों से निपटने के लिए दूरगामी रणनीति की तहत तैयारी कर रही है। इसी कड़ी में वह ‘जोरावर’ टैंक के साथ-साथ स्वार्म ड्रोन, टैंक रोधी निर्देशित मिसाइल, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस फ्यूचर रेड़ी कॉम्बेट व्हीकल और मैकेनाइज्ड इंफेन्ट्री की क्षमता विकसित करने पर भी विशेष ध्यान दे रही है।
– रक्षा सूत्रों की माने तो सेना ने ‘जोरावर’ टैंक का डिजायन तैयार कर लिया है और सरकार की ओर से हरी झंडी भी मिल गई है।
– इन टैंकों की खरीद रक्षा खरीद प्रक्रिया 2020 की मेक इन इंडिया श्रेणी के तहत आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा को ध्यान में रखते हुए की जाएगी।
– इस टैंक को बनाने के लिए घरेलू रक्षा उद्योग से संपर्क कर सेना की ओर से डिजायन टैंक बनाने को कहा गया है।
– ये भारतीय सेना की जरूरतों व भौगोलिक क्षेत्रों के अनुरूप तो होगा।
– ये अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ड्रोन, बचाव प्रणाली और खतरों को भांपने की प्रौद्योगिकी से भी लैस होगा।
– थल सेना के लिए सबसे प्रमुख हथियार में से एक ये टैंक है जो जंग का रूख बदल सकता है।
– सेना चाहती है कि ‘जोरावर’ उसके पास मौजूद सभी टैंकों का मिश्रण हो जो हल्का भले ही हो, लेकिन मजबूती में उसका कोई सानी न हो।
– उसकी मारक क्षमता के सामने दुश्मन घुटने टिका दे।
– स्वदेशी टैंक पर जोर देने का एक कारण यह भी है कि यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध से उत्पन्न हालातों में इन देशों से टैंकों के कलपुर्जों व उपकरण की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
– अगर हमारे पास स्वदेशी टैंक होंगे तो हमें इस तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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कैसे पड़ा जोरावर का नाम
बता दें कि, जोरावर का नाम भारत के प्राचीन समय के सेनानायक जोरावर सिंह कहलुरिया के नाम पर रखा गया है जिन्होंने लद्दाख, तिब्बत, बाल्टिस्तान और स्कर्दू आदि को जीता था।