भारतीय नौसेना ने रविवार को अरब सागर में ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया। ब्रह्मोस प्रिसाइजन स्ट्राइक मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने डिजाइन किया है। इसमें स्वदेशी ‘सीकर और बूस्टर’ लगाया गया है। मिसाइल में स्वदेशी सामग्री बढ़ाने पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस लगातार काम कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि मिसाइल ने परीक्षण में अपने टारगेट पर सफलतापूर्वक हमला किया है।
नौसेना की ओर से जारी किए गए एक बयान में कहा गया कि भारतीय नौसेना ने डीआरडीओ की डिजायन की गई स्वदेशी साधक और वर्धक ब्रह्मोस मिसाइल ने अरब सागर में सटीक हमला किया है। ये आत्मनिर्भरता के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करता है। मिसाइल का परीक्षण कोलकाता क्लास गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर वारशिप से किया गया। मिसाइल में स्वदेशी सामग्री बढ़ाने पर ब्रह्मोस एयरोस्पेस लगातार काम कर रहा है।
मालूम हो, ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड, भारत-रूस का संयुक्त कार्यक्रम है। ये सुपरसोनिक मिसाइल बनाते हैं, जिसे पनडुब्बी, जहाज, हवाई जहाज, जेट या जमीन से भी लॉन्च किया जा सकता है। साथ ही यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज गति से उड़ती है। ब्रह्मोस रूस की P-800 ओकिंस क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर आधारित है।
पिछले साल अप्रैल में भारतीय नौसेना ने इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एंटी-शिप वर्जन का अंडमान-निकोबार से सफल परिक्षण किया था। अभी हाल में, भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात करना भी शुरू कर दिया है। पिछले साल जनवरी में भारत ने फिलीपींस के साथ मिसाइल की तीन बैटरियों की आपूर्ति के लिए 375 मिलियन डॉलर का सौदा किया था।