चीनी सैनिकों से निपटने के लिए भारतीय सेना ने जो प्लान बनाया है उससे अब शी जिंगपिंग की सेना में खौफ है। क्योंकि, अब अगर चीनी सैनिक एलएसी पार करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें बिना फायरिंग के ऐसा सबक सिखाया जाएगा कि, वो इसे भूला नहीं सकेंगे। इंडियन आर्मी को इसकी खास ट्रेनिंग दी जाएगी। भारतीय सेना अनआर्म्ड कॉम्बेट ( बिना हथियारों की लड़ाई) के लिए भी अपने सैनिकों को ट्रेनिंग दे रही है। ताकि, ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर चीन के साथ तनाव होने पर उसे अच्छे से सबक सिखाया जा सके।
इस तरह की ट्रेनिंग पहले पूर्वी कमान में दी जा रही थी, लेकिन अब सेना की उत्तरी कमान ने भी एलएसी पर तैनात सैनिकों को अनआर्म्ड कॉम्बेट की ट्रेनिंग देनी शुरू की है। पहली बार इस ट्रेनिंग को ऑर्गनाइज्ड तरीके से शुरू किया गया है। सेना की उत्तरी कमान के पास ही जम्मू-कश्मीर से लेकर लद्दाख तक एलओसी और एलएसी का जिम्मा है। एलएसी पर चीनी सैनिकों से निपटने के लिए भारतीय सैनिकों को इजरायली मार्शल आर्ट कर्व मागा की ट्रेनिंग (Israeli Martial Arts Training) देना शुरू किया गया है।
मीडिया में आ रही खबरों में कहा जा रहा है कि, पहे जहां एलएसी पर चीनी सैनिकों के साथ फेसऑफ की स्थिति में धक्कामुक्की और गुत्थमगुत्था की लड़ाई हो जाती थी और भारतीय सैनिक इसके लिए तैयार रहते थे, वहीं अब उन्हें मार्शल आर्ट भी सिखाया जा रहा है। खासकर गलावन में चीनी सैनिकों के साथ हुई खूनी झड़प के बाद इसकी ज्यादा जरूरत पड़ी है। अब ऑर्गनाइज्ड तरीके से यूनिट स्तर पर सैनिकों को इजरायली मार्शल आर्ट कर्व मागा सिखाया जा रहा है। सैनिकों को कर्व मागा दूसरी मार्शल आर्ट के साथ मिलाकर सिखाया जा रहा है ताकि यह ज्यादा प्रभावी हो। इससे सैनिकों में कॉन्फिडेंस आएगा और वह फेसऑफ की स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे।
एक रिपोर्ट में बताया है कि, कोर बैटल स्कूल की ट्रेनिंग में कई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है लेकिन, थ्रेट बेस्ट ट्रेनिंग (खतरों के अनुसार) धीरे-धीरे बदल रही है। भारत और चीन के बीच तय प्रोटोकॉल और हुए समझौते के अनुसार एलएसी पर पेट्रोलिंग के दौराना दोनों देशों के सैनिकों को तनाव ना बढ़े इसकी कोशिश करना है। ऐसी स्थिति ना हो कि फायरिंग करनी पड़े। इसलिए एलएसी पर जब भी दोनों देशों के सैनिकों का आमना सामना होता है और तनाव बढ़ता है तो धक्का-मुक्की होती है और यह बढ़कर कई बार गुत्थम-गुत्था की लड़ाई तक पहुंच जाती है।
दोनों ओर से यही कोशिश रहती है कि फायरिंग ना हो। लेकिन, जब चीनी सैनिक पेट्रोलिंग (गश्त) पर आते हैं तो वो अपने साथ नॉन लीथल वेपन जैसे डंडा, करंट वाली छड़ी, पैपर स्प्रे साथ लाते हैं। इंडियान आर्मी की ओर से पूरी कोशिश रहती है कि संयम बरता जाए। लेकिन, चीन के सैनिक जब अपने घटिया हरकतों पर उतर आते हैं तो फिर भारतीय जवानों को बिना फायरिंग के उन्हें सबक सिखाया जाता है। अब मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग के भारतीय जवानों का कॉन्फिडेंस और मजबूती और भी ज्यादा बढ़ जाएगी।