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Video: लोकतंत्र की जननी के रूप में भारत के विचार को आगे बढ़ाते New Parliament Building के कुछ अनूठे मंज़र

पुराने भवन के साथ सह-अस्तित्व में नया संसद भवन (फ़ोटो: ट्विटर)

नए उभरते भारत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह नए संसद भवन का उद्घाटन किया। यह इमारत पारंपरिक और नए भारत के बीच की कड़ी है, क्योंकि यह देश की प्राचीन लोकतांत्रिक परंपराओं को चुनावी लोकतंत्र तक ले जाती है, जिसका देश अनुसरण करता है।

पीएम मोदी ने विविध आस्था तथा प्रार्थना सभा और नई संसद के निर्माण में मदद करने वाले कार्यकर्ताओं को सम्मानित करके पवित्र लोगों के साथ इस भवन का उद्घाटन किया।

तमिलनाडु के पुजारियों ने ऐतिहासिक सेन्गोल को प्रधानमंत्री को सौंप दिया। इसे नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया गया। प्रधानमंत्री ने चोल साम्राज्य से सत्ता के हस्तांतरण का प्रतिनिधित्व करने वाले सेंगोल के सामने दंडवत किया, इसके बाद सेंगोल को वेदों के मंत्रोच्चारण के साथ नए भवन में ले जाया गया।

मदुरै अधीनम के 293वें प्रधान पुजारी श्री हरिहर देसिका स्वामीगल ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में भाग लेकर मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है। पीएम मोदी हमेशा तमिल संस्कृति और तमिल लोगों के साथ गर्व से खड़े रहे हैं। मोदी जी पहले पीएम हैं, जिन्होंने तमिल अधीनों को आमंत्रित किया और संसद में तमिल संस्कृति को गर्व से प्रोत्साहित किया।”

विभिन्न धर्मों के पुजारियों ने राष्ट्र के विविध लोगों का प्रतिनिधित्व किया।नए संसद भवन में ‘सर्व-धर्म’ प्रार्थना आयोजित की गयी। इस भवन के निचले सदन में 888 सदस्य बैठ सकते हैं।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर परियोजना के निर्माण करने वाले श्रमिकों के साथ दोपहर का भोजन करके पहले की तरह लोगों तक अपनी उपस्थिति जारी रखते हुए प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन के निर्माण में शामिल श्रमिकों के साथ बात की। इमारत में दसियों हज़ार मज़दूर काम करते थे, जिनके लिए एक डिजिटल गैलरी समर्पित की गयी है।

ऐतिहासिक ‘सेंगोल’ के निर्माता, वुम्मिदी बंगारू चेट्टी परिवार के 97 वर्षीय वुम्मिदी एथिराज ने नए संसद भवन में इसकी स्थापना पर एएनआई को बताया,”यह एक बहुत ही गर्व का क्षण है।”