मुंबई में मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिस्सा लिया। इस दौरान पीएम मोदी को प्रथम लता दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार लेते वक्त प्रधानमंत्री भावुक हो गए है और बोलें कि इस राखी पर लता दीदी नहीं होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि, संगीत से आप में वीररस भरता है। संगीत मातृत्व और ममता की अनुभूति करवा सकता है। संगीत आपको राष्ट्रभक्ति और कर्तव्यबोध के शिखर पर पहुंचा सकता है। हम सब सौभाग्यशाली हैं कि हमने संगीत की इस सामर्थ्य को, इस शक्ति को लता दीदी के रूप में साक्षात देखा है।
उन्होंने कहा कि लता दीदी मेरी बड़ी बहन थीं। पीढ़ियों को प्रेम और भावना का उपहार देने वाली लता दीदी की तरफ से हमेशा एक बड़ी बहन जैसा अपार प्रेम मुझे मिला है। इससे बड़ा सौभाग्य और क्या हो सकता है। कई दशक बाद ये पहला राखी का त्योहार आएगा, जब दीदी नहीं होंगी। भावुक होते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि, पुरस्कार जब लता दीदी जैसी बड़ी बहन के नाम से हो, तो मेरे लिए उनके अपनत्व और प्यार का ही एक प्रतीक है। मैं इस पुरस्कार को सभी देशवासियों के लिए समर्पित करता हूं। जिस तरह लता दीदी जन-जन की थीं। उसी तरह से उनके नाम से मुझे दिया गया ये पुरस्कार भी जन-जन का है।
पीएम मोदी ने कहा कि, लता दीदी ने संगीत में वो स्थान हालिस किया कि लोग उन्हें मां सरस्वती का प्रतिरूप मानते थे। उनकी आवाज ने करीब 80 वर्षों तक संगीत जगत में अपनी छाप छोड़ी थी। लता दीदी ने आजादी से पहले से भारत को आवाज दी। इन 75 वर्षों की देश की यात्रा उनके सुरों से जुड़ी रही। इस पुरस्कार से लता दीदी के पिता दीनानाथ मंगेशकर का नाम भी जुड़ा है। मंगेशकर परिवार का संगीत के लिए जो योगदान रहा है, उसके लिए हम सभी देशवासी उनके ऋणी हैं। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर ने ये गीत अंग्रेजी हुकूमत को चुनौती देते हुए लिखा था। यह साहस, देशभक्ति, दीनानाथ जी ने अपने परिवार को विरासत में दी थी। लता दीदी 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की मधुर प्रस्तुति की तरह थीं। उन्होंने देश की 30 से ज्यादा भाषाओं में हजारों गीत गाए। हिन्दी हो, मराठी, संस्कृत हो या दूसरी भारतीय भाषाएं, लताजी का स्वर वैसा ही हर भाषा में घुला हुआ है।