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भारत में हर मिनट 30 से अधिक बच्चे, Indresh Kumar बोले- सख्त कानून जरूरी

Indresh Kumar on Increasing Population

Indresh Kumar on Increasing Population: राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (RSS) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि बढ़ती आबादी (Indresh Kumar on Increasing Population) भारत के साथ साथ पूरे विश्व की समस्या है। अतः इसपर अतिशीघ्र कानून बनाया जाना चाहिए। साथ ही संघ नेता ने एक देश, एक झंडा, एक कानून का हवाला देते हुए यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी ज़ोर दिया। दूसरी तरफ, केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने रविवार को यहां जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाए जाने की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि चीन ने अपनी जनसंख्या को नियंत्रित कर आर्थिक प्रगति का मार्ग अपनाया और भारत को भी अपने सीमित संसाधन देखते हुए ऐसा ही कानून लाना चाहिए। दिल्ली के जंतर-मंतर पर रविवार को जनसंख्या समाधान फाउंडेशन की ओर से जनसंख्या नियंत्रण पर कानून लाए जाने की मांग को लेकर रैली का आयोजन किया गया। रैली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारणी के सदस्य इंद्रेश कुमार (Indresh Kumar on Increasing Population) भी मौजूद रहे।

भारत में दो बच्चों का कानून बनाना आवश्यक
इंद्रेश कुमार ने कहा कि भारत में बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए दो बच्चों का कानून बनाना आवश्यक है। उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि इसे किसी धर्म, जाति व संप्रदाय से नहीं जोड़ना चाहिए। जनसंख्या में वृद्धि होने से परेशानी सभी को होती है। आरएसएस का भी मानना है कि पूरे देश को एक मत होकर इससे संबंधित कानून बनाने पर विचार करना चाहिए। जहां तक वर्तमान सरकार की बात है तो वर्ष 2019 में 15 अगस्त के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि छोटा परिवार भी देश प्रेम है।

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भारत में हर मिनट में 30 से अधिक बच्चे पैदा हो रहे
इस दौरान पत्रकारों से बातचीत में केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि वे जनसंख्या नियंत्रण के लिए लाए जाने वाले कानून का समर्थन करते हैं। भारत के सीमित संसाधन को देखते हुए यह जरूरी है। भारत में दुनिया की 18 से 20 प्रतिशत आबादी है और जमीन ढाई प्रतिशत और जल 4 प्रतिशत है। गिरिराज ने कहा कि यह कानून सभी मत, पंथ और संप्रदायों में समान रूप से लागू होना चाहिए। कानून को सख्त बनाया जाना चाहिए। उल्लंघन करने वालों को सरकारी लाभ से वंचित किया जाना चाहिए। वहीं उनका मतदान का अधिकार छीन लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन ने एक बच्चा पैदा करने की नीति से 60 करोड़ तक की आबादी रोकने का काम किया है। चीन में जहां हर एक मिनट में 10 बच्चे और भारत में हर मिनट में 30 से अधिक बच्चे पैदा हो रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के प्रयासों से इस दिशा में जागरुकता आई है।

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पूरी दुनिया बढ़ती हुई जनसंख्या से प्रभावित और चिंतित है
संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा कि लोकतंत्र के कारण कुछ राजनीतिक दल और नेता सोचते हैं कि मजहब के नाम पर जनसंख्या बढ़ाकर अपने सांसद और विधायक बढ़ा सकते हैं। इसलिए मजहबी जनसंख्या का असंतुलन भी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया बढ़ती हुई जनसंख्या से प्रभावित और चिंतित है। विकास के लिए जरूरी है कि जनसंख्या नियंत्रण हो। हमारे देश में जनसंख्या अधिक है और प्राकृतिक संसाधन बेहद कम हैं।
इंद्रेश कुमार ने कहा कि 1857 में 83 लाख वर्ग किलोमीटर का भारत था और जनसंख्या 35 करोड़ थी। 1950 में 31.5 लाख वर्ग किमी का भारत रह गया और जनसंख्या 34 करोड़ थी। आज भूमि उतनी ही है, लेकिन जनसंख्या 130 करोड़ से अधिक हो गई है। जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि होने से परेशानी सबको हो रही है। वह चाहे हिंदू हो या मुस्लिम, सिख हो या ईसाई।

मजहब से न जोड़ें जनसंख्या नियंत्रण काननू
उल्लेखनीय है कि भारत अगले साल दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने जा रहा है। भारत की जनसंख्या चीन को पीछे छोड़ देगी। हालांकि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जनसंख्या वृद्धि दर अब स्थिरिकरण की ओर बढ़ रही है।
इस दौरान इंद्रेश कुमार ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण काननू को मजहब से कभी नहीं जोड़े। वोट बैंक की राजनीति करने वाले लोग इसे मजहब से जोड़ कर देखते हैं जबकि मैंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के 25 लाख मुसलमानों से मिलकर बात की है, ईसाइयों से मिला। उनके साथ बैठकर वार्ता की। बौद्ध, अनुसूचित जाति, जनजाति से इस विषय पर वार्ता की। सभी लोगों का कहना है कि जनसंख्या बढ़ने से सब परेशान हैं।

जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी
इंद्रेश कुमार ने कहा कि जहां तक मुसलमानों की बात है तो 74 साल में उनकी स्थिति क्यों नहीं सुधरी है। जबकि उनको अतिरिक्त सुविधाएं दी जा रही हैं। इस कानून को मजहब से वही लोग जोड़ने की बात कर रहे हैं जो उन्हें अब तक वोट बैंक समझते आ रहे हैं। वोट बैंक समझने वाले लोगों ने उस समाज की स्थिति को नर्क बनाने का काम किया है। उन्हें केवल अपनी सत्ता से मतलब है। समाज से कुछ भी लेना देना नहीं है। उन्‍होंने जोर देते हुए कहा कि इसी रफ्तार से जनसंख्या बढ़ी तो आदमी आदमी को खाने पर मजबूर हो जाएंगे। इसी जनसंख्या वृद्धि के कारण विश्व की कितनी सभ्यताएं समाप्त हो गई। शक, हूण, कुषाण का अस्तित्व नहीं है। यह समस्या वैश्विक है। 200 करोड़ की धरती पर जब 1000 करोड़ लोग हो जाएंगे तब क्या स्थिति होगी, समझ सकते हैं।