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SFJ In Haryana: SFJ ने सिरसा में लहराया खालिस्तानी झंडा

सिरसा के मंडी डबवाली में एसडीएम कार्यालय के बाहर खालिस्तानी झंडा और देश विरोधी नारे लगाये गये।

आयुष गोयल

SFJ In Haryana: हरियाणा की क़ानून प्रवर्तन और राष्ट्रीय ख़ुफ़िया एजेंसियां उस समय अलर्ट मोड में आ गयी, जब सिरसा ज़िले के मंडी डबवाली में एसडीएम कार्यालय के बाहर एक खालिस्तानी झंडा लगा दिया गया। इस क्षेत्र में मिनी सचिवालय की दीवारों पर कई राष्ट्र-विरोधी नारे भी गुप्त रूप से लिखे गए थे।

विदेशों और पंजाब में अपने विरोध प्रदर्शनों में व्यापक रूप से दिखायी देने वाले खालिस्तानियों के घटते प्रभाव के साथ प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) ने अपने इस नवीनतम प्रचार स्टंट की ज़िम्मेदारी ली है और बचकाने ढंग से ‘हरियाणा बनेगा खालिस्तान’ का नारा लगाया है। SFJ  सुप्रीमो गुरपतवंत सिंह पन्नून ने इसके साथ एक वीडियो जारी करते हुए 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस पर भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के साथ-साथ हरियाणा के सीएम एमएल खट्टर और गृह मंत्री अनिल विज को ख़त्म करने की धमकी दी है।

स्थानीय प्रशासन और पुलिस मौक़े पर पहुंच गयी और बदमाशों को पकड़ने के लिए सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा कर रही है। हरियाणा पुलिस ने अपने बयान में कहा, “हम घटना की जांच कर रहे हैं और आरोपियों को जल्द ही पकड़ लिया जायेगा।”

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि SFJ  ने हरियाणा में इस तरह का स्टंट करने की कोशिश की है। यह संगठन सक्रिय रूप से राज्य में विशेष रूप से पंजाब की सीमा से लगे इलाक़ों जैसे सिरसा और अंबाला में अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन लगातार असफल हो रहा है।

पन्नून ने पहले भी ‘हरियाणा बनेगा खालिस्तान’ नाम से एक विशेष अभियान की घोषणा की थी, जहां उसने राज्य भर में खालिस्तानी झंडे फहराने का आह्वान किया था, लेकिन यह बुरी तरह विफल रहा था। ख़ुफ़िया एजेंसियों के उच्च पदस्थ सूत्रों से पता चलता है कि दुनिया भर में लगातार घटते प्रभाव और पंजाब में बड़े पैमाने पर कार्रवाई के साथ खालिस्तानी ताक़तें अधिक से अधिक लोगों को भर्ती करने की आख़िरी कोशिश कर रही हैं।

वे अब बेहतर भविष्य के लिए हरियाणवी युवाओं के विदेश प्रवास की बढ़ती प्रवृत्ति को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। खालिस्तानी ताक़तें मुख्य रूप से अंबाला, कुरूक्षेत्र, सिरसा फतेहाबाद, यमुनानगर, पानीपत, कैथल और करनाल आदि ज़िलों से आने वाले इन युवाओं को पीआर या शरण प्राप्त करने में सहायता का वादा करके अपनी तरफ़ खींचने की कोशिश कर रही हैं। ग्रामीण इलाक़ों के युवाओं को यूरोप के स्थानीय गुरुद्वारों में मुफ़्त रहने और भोजन के अलावा नौकरी दिलाने और मदद के बदले में पीआर देने का वादा किया जाता है।