आयुष गोयल
भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार को सिख मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति देने से इनकार करते हुए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनके सहयोगियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि अगर सरकार सिख गुरुद्वारा (संशोधन) विधेयक, 2023 को वापस लेने में विफल रहती है, तो आंदोलन की जायेगी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर “सिख विरोधी एजेंडा” लागू करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि वे इसे चुपचाप नहीं सहेंगे।
राज्य विधानसभा द्वारा संशोधन विधेयक पारित करने के कुछ दिनों बाद ही धामी ने एक विशेष आम सदन को संबोधित किया, जिससे स्वर्ण मंदिर से पवित्र गुरबानी के “फ्री-टू-एयर” प्रसारण पर कथित अनुचित नियंत्रण को ख़त्म करने का मार्ग प्रशस्त हो गया।
धामी ने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर राज्य सरकार ने सिख मामलों में हस्तक्षेप बंद नहीं किया, तो अकाल तख्त पर अरदास (प्रार्थना) करने के बाद इसके ख़िलाफ़ एक मोर्चा (आंदोलन) शुरू किया जायेगा। तब यह सरकार की ज़िम्मेदारी होगी।” । उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सिख गुरुद्वारा अधिनियम 1925 में कोई भी संशोधन केवल एसजीपीसी सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत की मंज़ूरी से ही किया जा सकता है। एसजीपीसी प्रमुख ने कहा कि न तो केंद्र और न ही पंजाब सरकार को इस क़ानून में संशोधन करने का कोई अधिकार है।
SGPC special General House session completely rejects Punjab Government’s Sikh Gurdwaras (Amendment) Bill, 2023
-In unity, SGPC members warn to start a strong struggle against Punjab Government
-Government should withdraw Sikh Gurdwaras (Amendment) Bill, or be ready to face Sikh… pic.twitter.com/E1emxUBnml— Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee (@SGPCAmritsar) June 26, 2023
धामी ने मान पर केजरीवाल का अंधानुकरण करने का आरोप लगाया और यह भी आरोप लगाया कि यह संशोधन ‘बाबू’ केजरीवाल की साज़िश के तहत किया गया है।
ग़ौरतलब है कि यह विधेयक 20 जून को राज्य विधानसभा में पारित किया गया था, जहां सीएम ने दावा किया था कि इसका उद्देश्य पवित्र गुरबानी के प्रसारण के अधिकारों पर एक विशेष परिवार के अनुचित नियंत्रण को मुक्त करना है। ऐसा कहते हुए मान बादल परिवार और शिरोमणि अकाली दल का ज़िक्र कर रहे थे। पार्टी की चैनल पीटीसी में हिस्सेदारी है, जिसे प्रसारण का विशेष अधिकार है।
मान ने ज़ोर देकर कहा कि यह एक विरोधाभासी स्थिति है कि एसजीपीसी ने अपने मामलों को नियंत्रित करने वाले एक ‘परिवार’ के प्रभाव में उनके स्वामित्व वाले चैनल को पवित्र गुरबानी को प्रसारित करने का बौद्धिक संपदा अधिकार दे दिया था। ग़ौरतलब है कि सिर्फ़ मान ही नहीं, बल्कि अनुभवी बीबी जागीर कौर सहित एसजीपीसी के कई नेताओं ने भी एसजीपीसी में बादल के हस्तक्षेप का मुक़ाबला करने के लिए अपने धार्मिक संगठन को लॉन्च करके इसी मुद्दे को उठाया है। कौर गुरबानी के प्रसारण के लिए एसजीपीसी द्वारा अपना चैनल शुरू करने की मांग उठाती रही हैं।
कौर आज बैठक में शामिल हुईं।उन्हें नज़रअंदाज कर दिया गया, क्योंकि उन्होंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की थी। हालांकि, जागीर कौर ने इस संशोधन विधेयक के विरोध के मुद्दे पर एसजीपीसी का समर्थन किया है, लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर चुप्पी बनाये रखने के लिए शिरोमणि अकाली दल नेतृत्व पर सवाल उठाया। उन्होंने अकाली दल के नेताओं पर अकाल तख्त की स्थिति से समझौता करने का भी आरोप लगाया। जैसे ही उन्होंने बादलों के ख़िलाफ़ मामला उठाना शुरू किया, उन्हें मंच का दुरुपयोग करने के लिए अपमानित किया गया और लाइव टेलीकास्ट के दौरान उनका माइक बंद कर दिया गया।