दसवीं और बाहरवीं की बोर्ड परीक्षाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें 10वीं और 12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षाओं 'ऑफलाइन' कराए जाने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिकाओं से बच्चों में भ्रम पैदा होता है। परीक्षाएं ऑफलाइन ही होंगी। इसके साथ ही कोर्ट ने आईसीएसई और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) द्वारा आयोजित की जाने वाली ऑफलाइन परीक्षाओं को भी रद्द करने की मांग वाली याचिका को भी खारिज कर दिया।
The Supreme Court has announced that board exam for the student of class 10th and 12th will be held in offline mode. pic.twitter.com/F4npB56jwW
— Organiser Weekly (@eOrganiser) February 23, 2022
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा- 'यह किस तरह की याचिका है? सभी संस्थाएं अपना काम कर रही हैं? उन्हें परिस्थितियों का पता है। वह जो उचित होगा फैसला लेंगी, आप कोर्ट से कह रहे हैं कि संस्थाओं को उनका काम न करने दिया जाए। आपकी याचिका पर विचार करने का मतलब है कि और ज्यादा कन्फ्यूजन करना। पहले ही आपने जनहित याचिका के नाम पर ये अर्जी दाखिल कर छात्रों और अभिभावकों के बीच बहुत कन्फ्यूजन किया हुआ है।'
Supreme Court rejects plea seeking cancellation of offline board exams
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आपको बता दें कि बाल अधिकार कार्यकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें कहा गया कि कोरोना का खतरा अभी बना हुआ है। यह बच्चों को अधिक प्रभावित कर सकता है। ऐसे में छात्रों से परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए कहना उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है। याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट CBSE, ICSE, NIOS और राज्य शिक्षा बोर्ड को कमिटी बना कर बच्चों के मूल्यांकन का कोई वैकल्पिक तरीका निकालने को कहे, जो छात्र इस तरह के मूल्यांकन से मिले अंकों से संतुष्ट न हों, उन्हें अलग से परीक्षा देने का अवसर मिले।