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चीन को तमाचा, वैक्सीन डिप्लोमेसी में मोदी सरकार की एक ओर जीत, Covaxin को ब्रिटेन में मिली क्लीन चिट

चीन को तमाचा, वैक्सीन डिप्लोमेसी में मोदी सरकार की एक ओर जीत

भारत सरकार को वैक्सीन डिप्लोमेसी में बड़ी जीत मिली है। मोदी सरकार की इस कामयाबी से चीन को मिर्ची लगी है। दरअसल यूके ने भारत की कोवैक्सीन को अपनी स्वीकृत टीकों की लिस्ट में शामिल कर लिया है। भारत की कोवैक्सीन को अब यूके सरकार इंटरनेशनल यात्रियों के लिए स्वीकृत कोविड-19 टीकों की लिस्ट में शामिल करने जा रही है। अब यात्रियों को इंग्लैंड जाकर क्वारंटाइन में नहीं रहना पड़ेगा। चीन चाहता था कि भारत में बनी वैक्सीन को स्वीकृति न मिले। इसके WHO ने भी कोवैक्सीन को मान्यता दे दी है।

बता दें कि यूके सरकार का यह कदम विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमरजेंजी यूज की लिस्ट को फॉलो करता है। बता दें कि कोवैक्सीन भारत में इस्तेममाल की जाने वाली दूसरी सबसे बड़ी वैक्सीन है। पहले कोवैक्सीन लगवा चुके इंटरनेशनल यात्रियों को यूके जाने के बाद क्वारंटाइन में रहना पड़ता था, लेकिन 22 नवंबर से अब ऐसा नहीं होगा। सोमवार को भारत में ब्रिटेन के हाई कमीश्नर Alex Ellis ने ट्वीट कर जानकारी दी कि ब्रिटेन जाने वाले भारतीय यात्रियों के लिए एक और अच्छी खबर है। 22 नवंबर से कोवैक्सीन सहित उन सभी टीकों को लगवाने वाले भारतीयों को  सेल्फ-आइसोलेट होने की कोई जरूरत नहीं है, जिनके आपतकालीन इस्तेमाल के लिए WHO ने अनुमति दे दी है।

बता दें कि WHO के कोवैक्सीन को मंजूरी देने से पहले 16 देशों ने भारत से वैक्सीन लगवाने वाले यात्रियों को इजाजत देने के उद्देश्य से इस वैक्सीन को स्वीकार किया था, WHO की मंजूरी के बाद यूके ने इसका मूल्यांकन कर इसे मंजूरी देने का फैसला किया है। ये बदलाव 22 नवंबर को सुबह 4 बजे से प्रभावी होंगे। Covaxin के अलावा, चीन के Sinovac और Sinopharm, दोनों ही टीकों को WHO की आपातकालीन उपयोग सूची में जगह मिलने के बाद ब्रिटेन सरकार इन्हें भी मंजूरी दी गई है, जिससे संयुक्त अरब अमीरात और मलेशिया में पूरी तरह से टीकाकरण वाले लोगों को लाभ होगा।