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Presidential Election: उड़ीसा की संथाल आदिवासी हैं NDA की राष्ट्रपति प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू, पति 2 पुत्र खोने के बाद भी जुटीं रहीं!

एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू

NDA ने राष्ट्रपति पद के उमीदवार में झारखंड की पूर्व राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगा दी है। जबकि इससे पहले विपक्ष ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा का नाम फाइनल किया था।  आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है। पार्टी मुख्यालय में हुई भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया।

राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के नाम की घोषणा करते हुए भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने कहा कि पहली बार किसी महिला आदिवासी प्रत्याशी को वरीयता दी गई है। उन्होंने कहा, हम आगामी राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू को एनडीए के उम्मीदवार के रूप में घोषित करते हैं। निर्वाचित होने पर, 64वर्षीय द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी।

कौन हैं एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू

द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20जून 1958को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम बिरंची नारायण टुडू है। वह एक आदिवासी जातीय समूह संथाल परिवार से ताल्लुक रखती हैं। ओडिशा के आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू झारखंड की नौवीं राज्यपाल बनी थीं। राजनीतिज्ञ होने के अलावा वह अनुसूचित जनजाति समुदाय से आती हैं। द्रोपदी मुर्मू का विवाह श्यामचरण मुर्मू से हुआ। उनके तीन संतान- दो पुत्र और एक पुत्री हुई। इसके कुछ दिन बाद इनके पति की मृत्यु हो गई। पति की मृत्यु के बाद द्रोपदी के दोनों पुत्रों का निधन हो गया। इस तिहरे सदमे के बाद भी द्रोपदी मुर्मू डिगी नहीं। मुर्मू उड़ीसा के सिंचाई विभाग में सहायक इंजीनियर बनीं लेकिन वो नौकरी भी जाती रही। इसके बाद भी उनका जज्बा बरकरार रहा। द्रोपदी मुर्मू साल 2000में गठन के बाद से पांच साल का कार्यकाल (2015-2021) पूरा करने वाली झारखंड की पहली राज्यपाल हैं।

उड़ीसा में भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल गठबंधन सरकार के दौरान, वह 6मार्च, 2000से 6अगस्त, 2002तक वाणिज्य एवं परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहीं। इसके अलावा 6अगस्त, 2002से 16मई 2004तक मत्स्य पालन एवं पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री थीं। उड़ीसा खासतौर पर मयूरभंज जिले के लिए एनडीए का दोहरा तोहफा है द्रौपदी मुर्मू का चयन। क्योंकि देश के सीएजी गिरीश चंद्र मुर्मू भी मयूरभंज जिले के ही रहने वाले हैं।

मुर्मू ने एक शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और फिर ओडिशा की राजनीति में प्रवेश किया। वह मयूरभंज (2000और 2009) के रायरंगपुर से भाजपा के टिकट पर दो बार विधायक रहीं। उन्होंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में पार्टी के भीतर कई प्रमुख पदों पर कार्य किया है। मुर्मू 2013से 2015तक भगवा पार्टी की एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य भी थीं। उन्होंने 1997में एक पार्षद के रूप में चुनाव जीतकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। उसी वर्ष, उन्हें भाजपा के एसटी मोर्चा का राज्य उपाध्यक्ष चुना गया। 

भाजपा के लिए क्यों खास है द्रौपदी मुर्मू का नाम?

द्रौपदी मुर्मू को अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश की है। भाजपा आदिवासियों पर ध्यान केंद्रित कर रही है क्योंकि गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं। इन राज्यों में आदिवासियों का अच्छी खासी संख्या है। इसलिए आदिवासी मतदाता पार्टी की योजना के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं। इसके साथ ही, 64 वर्षीय द्रौपदी महिला मतदाताओं को आकर्षित करने में भी पार्टी की मदद कर सकती हैं।